मेरे शादी को सैंतीस साल हो गए। मेरा एक देवर मेरे ख्याल से पिछले 40 साल से रोजा रखते हैं, मेरी शादी के पहले से ही। तब वे बहुत छोटे थे। मैंने तनिक हैरानगी जताई। वे बोले- "देखते हैं न कि कैसे वे लोग एक महीने तक रोज दिन भूखा रहते हैं। हमलोग तो अपने यहाँ उपवास में दिन भर खाते ही रहते हैं। मेरे मुहल्ले में भी कई लोग रोजे रखते थे। आपलोगों के यहाँ कोई रखता है क्या? अपने किस्से, अपनी यादें साझा कीजिये, इस वीडियो को देखते हुए। जरा सोच, समझकर जवाब दीजिएगा-
सुनो रमज़ान की दास्ताँ तो सुनो,
रहमतों का बयां है, बयां तो सुनो....
फिल्म 'आलंम आरा' का गीत मोहम्मद रफी की आवाज में सुनते हुए हम खो गए ... फिर याद आने लगे रमज़ान से संबन्धित अपनी बातें, लोग, समय....
सुनिए #बोलेविभा40 #यूट्यूब पर।
https://www.youtube.com/watch?v=WwzVIOO55_Q&t=299s
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