कैसे? तो ऐसे!
विज्ञान की बातें, दर्शन और शास्त्र की बाते! भाषण के रूप में किसी को पिलाना चाहें, कोई ना पिये। तो हमारे बाद-बुजुर्गों ने फकरे, यानी कहावतें बनाईं और उस तरह से जीवन की सीख दी। इस फकरे में बारहों महीने की निषिद्ध वस्तुओं का वर्णन है। आजमाकर देखिये।
"चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठे पन्थ असाढ़े बेल
सावन साग न भादों दही, क्वार करेला न कातिक मही
अगहन जीरा पूसे धना, माघे मिश्री फागुन चना
ई बारह जो देय बचाय, वहि घर बैद कबौं न जाय...."
इन बारह महीनों से ऊपर सबसे बड़ा महिना और समय है- कोरोना का, लॉक डाउन का। अभी अप्रैल है, वैशाख। तो क्या और कैसे खाएं कि ऐसे महासंकट के समय आप स्वस्थ रहें। न न न न! कोई भाषण नहीं। अपने को कहाँ भाषण देने आता है! बस, आप यहाँ आ जाइए। देखिये और स्वस्थ और मस्त रहिए।
और हाँ, आपके यहाँ किस तरह के फकरे या कहावतें चलती हैं। बताइये ना!
#बोलेविभा39 में।
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https://www.youtube.com/watch?v=RF4lRTPG1bQ
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