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Wednesday, July 22, 2009

आइये, हम बलात्कार के लिए प्रस्तुत हैं.

आइये, हम बलात्कार के लिए प्रस्तुत हैं. छाम्माक्छाल्लो फिर से बहुत प्रसन्न है. वह प्रसन्न है की माननीय उच्चतम न्यालालय ने एक मानसिक रूप से विकलांग लड़की के माँ बनाने के अधिकार को सुरक्षित रखा. वह लड़की माँ इसलिए नही बन रही है की उसकी शादी हुई है और विवाह बंधन में बंध कर वह माँ बनने जा रही है. जी नहीं, हमारा समाज इतना उदार नही है की वह किसी ऎसी लड़की से अपने होनहार, बीरावान के हाथ पीले कर दे, न ही हमारे ऐसे वीर-बाँकुरे हैं जो इस तरह की लड़कियों के हाथ थाम ले. गिने-चुने उदाहरण हो सकते हैं. मगर यह हमारा देश और इसके नागरिक जबरन कुछ भी लेने में अपनी वी़रता समझते हैं. चाहे वह किसी का कुमारी हो, किसी का मान हनन हो या कुछ और. अखबार में छपी खबर के मुताबिक वह लड़की चंडीगढ़ के नारी-निकेतन में रहती थी और वहा उसके साथ रैप किया गया. यह कितनी खुशी की बात है. रक्षण स्थाlii पर शिकार. शिकारी कितने वीर-भाव से वहा गया होगा औए उसने उस लड़की को अपना निशाना बनाया होगा. वह उतने ही उन्नत भाव से वहां गया होगा की वह लड़की तो मानसिक रूप से विकलांग है. अगर उसकी अपनी भाषा में कहें तो पागल. पागल लड़की को पत्नी नही बना सकते, मगर उसे भोग तो सकते ही हैं. उसने यह भी दया दिखाई होगी की उस बिचारी से कोई शादी तो करनेवाला है नही, तो बिचारी जन्म भर ऐसे ही इस एक सुख से वंचित रह जायेगी. तो क्यों न एक पंथ दो का किये जाएँ. उस लड़की की आत्मा की भी शान्ति और अपनी वासना की भी पूर्ती. अब यह दूसरी बात हो गई की उन महानुभाव के कृत्य के कारण लड़की बिचारी गर्भवती हो गई. लड़कियां भी बड़ी उर्वरक होती हैं. (सरकार कोकही तो रोक लगानी चाहिए). जहां रोक लगाने की बात है, सरकार इतने एड्स के दर दिखाती है, उससे बचने के किये कंडोम के इस्तेमाल की सलाह देती है. अप्रत्यक्ष रूप से वह यह भी कहती है की इससे अनचाहे गर्भ से बचाव हो सकता है. मगर लोग हैं की वह सभी के नेक इरादे पर पानी फेरते रहते हैं. छाम्माक्छाल्लो को उस भाई साहब पर बड़ा तरस आता है. अब रह गई बात उस लड़की की. मानसिक रूप से अपांग है, इसलिए लोगों ने सोचा की वह माँ बनाए लायक नहीं. उपभोग के लायक है. यह समाज का जाने कौन सा वर्ग है, लोग हैं, जो एक स्त्री की कुदरती पूर्ती को नकारते हैं. उसे रैप किया जा सकता है, मगर उसे माँ नहीं बनने दिया जा skataa. छाम्माक्छाल्लो को इस बात पर भी hairaanii होती है की आज कल लोग हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट की गुहार लगाने लगते हैं. माँ बनाना किसी भी लड़की का जन्म सिद्ध अधिकार है. प्रकृति ने यह तय नही किया है की वह माँ कैसे बनेगी? यह समाज के अपने नियम हैं और अपनी बंदिशें. हर बात की तरह इसे भी लड़की पर ही थोपा जाता है. बलात्कारी तो कहा होगा, मालूम नहीं, मगर गाज लड़की पर गिर रही है. छाम्माक्छाल्लो इस बात से भी प्रसन्न है की बलात्कार तो हमारे हिन्दू धर्म का एक हिस्सा है. उसे लगता है की बलात्कार करके उस महामानव ने हिन्दू धर्म की रक्षा ही की है. यह न कहियेगा की हिन्दू धर्म में ऐसा नही है. हम बचपन से यह कहानी पढ़ते आये हैं सटी वृंदा का शील भगवान विष्णु ने उसके पति का रूप धरकर भंग किया था. इसका पता चलने पर वृंदा ने उन्हें शाप दे दिया था और वे सालीग्राम बन गए थे. गौतम ऋषि की पत्नी अहल्या का शील भंग देवताओं के राजा इन्द्र ने ही किया था. (सोचिये एक राजा का कृत्य). इसका भी पता चलने पर गौतम ऋषि ने इन्द्र को सहस्त्र योनी का शाप दिया था, जिसे इन्द्र के अनुरोध पर सहस्त्राक्ष में बदल दिया गया था. इसमें भी इन्द्र ने गौतम ऋषि का ही रूप धारण किया था. इससे एक बात तो पता चलती है की स्त्रिया अपने पति के अलावा और किसी के बारे में नहीं सोचती थीं, इसलिए उनका शील भंग करने के लिए उनके पति का रूप धारण करना देवताओं की मज़बूरी होजाती थी. छाम्माक्छाल्लो इसलिए भी प्रसन्न है की हम अपने धर्म की रक्षा का पालन बड़ी निष्ठा से कर रहे हैं. लड़कियों का क्या है? वे तो होती ही हैं इन सबको झेलने के लिए. जभी तो प्रकृति ने भी उसकी संरचना ऎसी कर दी. अब प्रकृति से तो कोई नही लड़ सकता न. इसलिए, हे महानुभावो, आइये, हम सभी हम सभी लूली, लंगडी, कानी, अंधी, पागल, विक्षिप्त- आप सभी के लिए प्रस्तुत हैं. आप तोहम पर अहसान कर रहे हैं, हमें हमारी देह और उसकी ज़रुरत और उसकी पूर्ती से वाकिफ करा रहे हैं. हम सचमुच आपके आभारी हैं। आइये, बार-बार आइये।

11 comments:

Anonymous said...

very nice piece you have written and last 2 lines are superb and how true

इसलिए, हे महानुभावो, आइये, हम सभी हम सभी लूली, लंगडी, कानी, अंधी, पागल, विक्षिप्त- आप सभी के लिए प्रस्तुत हैं. आप तोहम पर अहसान कर रहे हैं, हमें हमारी देह और उसकी ज़रुरत और उसकी पूर्ती से वाकिफ करा रहे हैं. हम सचमुच आपके आभारी हैं। आइये, बार-बार आइये।

रंजन (Ranjan) said...

बहुत शर्मनाक.. आज सुबह अखबार में ये खबर पढ़ मन खराब हो गया.. समझ नहीं आ रहा क्या प्रतिक्रिया दें... इस पूरी खबर में बलात्कारी का कंही जिक्र नहीं उसे धरती खा गई या आसमान निगल गया.. पता नहीं.. और अब लड़्की बच्चे के साथ पूरी जिन्दगी समाज के ठेकेदारों से लड़ती रहेगी..खुद के लिये बच्चे के लिये.. वाह री दुनिया..

Vishal Mishra said...

kya kahun..koi shabd nahi hain... ajeeb sa lag raha hai.. bas andar se aise samaj se nafrat ho rahi hai..

36solutions said...

धन्‍यवाद विभा जी जो आपने इस मुद्दे पर अपना विचार व्‍यक्‍त किया. हम इन मुद्दों पर अपना विरोध तो दर्ज कर ही सकते हैं. आपने किया.

Unknown said...

thanks vibha .this is real democaricy do some one punish someone where is govt. agencys so called DESHBHAKET. SAME ON US BEING AN INDIAN. WHERE BLUDY RAP.... FINDOUT AND CUT ...... SO HE CAN,T AGAIN. BHAWER SINGH JAIPUR

वाणी गीत said...

मर्मान्तक पीड़ा से सीधा साक्षात्कार कराती है आपकी रचना !!

सुजाता said...

सही कटाक्ष !

mehek said...

aisi galat harkaton par ek satik lekh.

बवाल said...

ये सब भगवान के मिसमैनेजमेंट का नतीजा है इसे मनुष्य को अपने ऊपर लेकर मन दुखी नहीं करना चाहिए।

dev said...

purusho ka to haq hai aur unke liye samman ki baat hai sharirik sambandh banana, phir chahe kisi ki marji se ho ya jabardasti se.

lekin mahila agar apne pati se bhi aisa sukh chahe to pati ko shaq hone lagta hai ki kahi wah bhi apni is bhukh ko mitane ke liye mardo ki tarah bahar muh to na marne lagegi.

purush ki agar ek se jyada mahila mitra ho to ye unki kabiliyat.lekin mahila agar ek purush mitra bana le le wah charitraheen.

mahila badan dhakne wale vastra pehne, aisi salah di jati hai, kyuki sharirik rup se majboot purush mansik rup se bahut kamjor hote hain.

ake blog ke liye apka bahut bahut dhanyawaad.samaaj ko katu satya sunane ki sakht jarurat hai

nitinevergreen said...

viba ji aap bahut sahasik mahila hai. sach kahne ki himmat bahut kam logo me hoti hai, agar sambhav ho to jeevan me mai ek bar aapse milna chahta hun, main bhi apne ap ko sach ke thoda sa najdeek rakhna chahta par ye utna asan nhi hai jitna kahne se lagta hai.........be.......st...of........luck yun hi likhti rahe..........1