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Thursday, July 2, 2009

हम और हमारी छवि

आप जानते हैं कि छाम्माकछाल्लो अवितोको संस्था के माध्यम से जेल के बंदियों के साथ कला, थिएटर, साहित्य आदि के माध्यम से काम करती है. आज वह मुम्बई के एक जेल में गई. यह बहुत ही प्रसिद्द जेल है. इस जेल में घुसते ही लिखा हुआ मिलता है कि इसे आजादी की लड़ाई में शामिल होंबेवालों के नाम समर्पित किया गया है. छाम्माकछाल्लो को इसे पढ़ कर हमेशा लगता रहा है कि एक समय यह जेल आजादी के दीवानों के लिए था और आज यह बदमाशों और तमाम असामाजिक तत्वों के लिए है. जेल के अधीक्षक बेहद उत्साही, कर्मठ और कर्तव्य परायण हैं. उनसे बहुत से विषयों पर भी बात होती रहती है. आज भी बात चलने पर रेप का प्रसंग आया. आजकल एक सिने स्टार भी इस मामले में फंसा हुआ है . छाम्माकछाल्लो ने पूछा कि ऐसा क्यों है कि सेलेब्रिटी होने के नाते उसके इस कृत्य को तो इतनी तरजीह दी जा रही है, जबकि उसी समय और उसके बाद होनेवाले दिल्ली, सूरत, भोपाल आदि में हुए गैंग रेप की कहीं कोई चर्चा ही नहीं है. उनहोंने जवाब दिया कि जब हम एक सार्वजनिक व्यक्ति बन जाते हैं, जब हमें लोग पहचानने लगते हैं, तब हमें कोई भी काम करते हुए बहुत सावधान रहना चाहिए. एक आम और एक ख़ास व्यक्ति में यही एक फर्क है कि आम को कोई नही जानता और ख़ास को हर कोई जानता-पहचानता है. अपराध एक आम आदमी करे या ख़ास, अपराध की गंभीरता में कोई कमी नही होती, मगर उसके असर में फर्क आता है. ये ख़ास आदमी हमारे आइकन होते हैं, आदर्श होते हैं. खुद का उदाहरण देते हुए उनहोंने कहा कि एक जेल अधीक्षक होने के नाते मेरी कुछ जिम्मेदारियां हैं, मेरी एक छवि है, अगर मैं उस जिम्मेदारी से मुकरता हूँ, या अपनी छवि खराब करता हूँ तो सबसे पहले तो आप ही मुझसे बात नहीं करेंगी. आप इस विचार से कितने सहमत हैं या असहमत, जरूर लिखें.

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