छम्मकछल्लो छमछमा रही है. देश की आधा दर्जन महा महिलाओं से सुशोभित, अभिमंडित, अचम्भित यह देश. वंदना करो इसकी. अर्चना करो इसकी. देश ने नहीं देखा कि वे महिला हैं, खाली औरत. देश ने देखा उसका जीवट. उसकी लगन, कुछ कर पाने का उसका जोश, आदिकाल से चले आ रहे शासक को बदल देने की जनता की चाह! भ्रष्टाचार से खीझे, दुखी, गुस्साए लोग! इन सबने जनता की चाहत को वाणी दी. जनता ने उनकी वाणी को अपने हाथों से लगाए मुहर का सहारा दिया. क्लीन स्वीप आउट! वाह रे इस देश की जनता.कौन कहता है कि लीडरों से देश का विश्वास उठ गया है!
अब बारी इन लीडरों की है के वे जनता की उम्मीदों पर खरे उतरें. इतिहास का शायद यह पहला मौका है, जब देश की प्रथम महिला से लेकर देश की सबसे बडी राष्ट्रीय पार्टी की अध्यक्ष सहित देश के चार राज्यों की कमान इन महा महिलाओं के हाथों में होगी. देश को बहुत आशा है. इन आशाओं की जडों में अपनी कार्य कुशलता का खाद-पानी डालो हे महा देवियो! वरनाइसी जनता को आपकी जड में मट्ठा डलते देर न लगेगी.
छम्मकछल्लो को भी इन महा महिलाओं से बहुतेरी उम्मीदें हैं. उनके सुशासन में शायद अब लोग यह कहना भूल जाएं कि औरतों की अक्कल सिर में नहीं, घुटने में होती हैं. शायद लोग यह कहना भूल जाएं कि बच्चा मां की शकल ले ले, कोई बात नहीं, अकल वह मेरी ले. शायद लोग यह कहना भूल जाएं कि औरतें ही औरतों की दुश्मन होती हैं. शायद लोग यह कहना भूल जाएं कि चूल्हा-चौका औरतों को ही फूंकना चाहिए. शायद लोग यह कहना भूल जाएं कि औरतों की कमाई खाने से बेहतर है के मर जाएं. शायद लोग यह कहना भूल जाएं कि औरतें केवल माल है. शायद लोग यह कहना भूल जाएं कि औरतों को घर के अंदर ही रहना चाहिए.
छम्मकछल्लो चाहती है कि देश में फिर से खुशहाली आए. छम्मकछल्लो सर्वे के ग्राफ पर यकीन करती है कि पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियां कम बेईमान होती हैं. वे कम घूसखोर होती हैं. दीन-दुनिया में अपनी भद मचने की फिक्र उन्हें अधिक रहती है. महिलाएं कोमल दिल की होती हैं. वे दिल से फैसले लेती हैं. महिलाओं के ये गुण हमारी इन आधा दर्ज़न महा महिलाओं में आए और राज्य और देश को इन गुणों का उपहार दे. जनता का विश्वास तो यही कहता है. बाकी तो दिन बताएगा कि कितनी औरतें अभी भी दहेज, रेप, घरेलू हिंसा, आपसी प्रतिस्पर्धा, खाप, ऑनर किलिंग और पता नहीं, किस किसकी शिकार हुईं?
2 comments:
"पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियां कम बेईमान होती हैं" जैसे अपनी मायावती जी, जयललिता जी, शीला दीक्षित, कनिमोची, इत्यादि इत्यादि... है ना... और स्त्रियाँ हैं ही कितनी राजनीती में... ये सब की सब दूध की धुली है.. है ना...अरे छोडो.....बेईमानी करने के लिए स्त्री पुरुष होने की आवश्यकता नहीं सिर्फ हिंदुस्तान में पैदा होना ही काफी है.... अरे स्त्री पुरुष क्या यहाँ के तो हिज़ड़े भी बेईमान होते हैं ....बाहर से कुछ और भीतर से कुछ.
"पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियां कम बेईमान होती हैं" विचारशून्य जी, यह अपनी बात नहीं, सर्वे की बात कही है. आपकी बात सही है.बेईमानी करने के लिए सिर्फ हिंदुस्तान में पैदा होना ही काफी है. फिर भी, इस हिंदुस्तान में आपको ऐसे भी मिलेंगे, जो अभी भी ईमानदारी की टेक पर हैं.
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