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छम्मकछल्लो की दुनिया में आप भी आइए.

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Monday, December 14, 2009

I will try my level best-का मतलब? कभी नहीं जी कभी नहीं!

http://janatantra.com/2009/12/14/i-will-try-my-level-best/

छम्मकछल्लो को अंग्रेजी आती नहीं. मगर अंग्रेजी अच्छी बहुत लगती है. अब अंग्रेजी न आने और पसन्द आने के बीच अप कोई तालमेल ना खोजें. हाथ तो चांद भी नहीं आता और हीरे का हार भी. तो इसका यह मतलब तो नहीं कि आप चांद या हार को पसन्द करना बन्द कर दें? आप यक़ीन कीजिए, अंग्रेजी भाषा सचमुच कभी कभी बडी अच्छी लगती है. ऐसे ऐसे शब्द और भाव इसमें हैं कि इनकी कोई काट आपके पास नहीं मिलेगी. जभी तो अंग्रेज हम पर इतने साल राज कर गए और अभी भी अपनी भाषा के बल पर हम पर अमिट राज कर रहे हैं और करते रहेंगे. यह छम्मकछल्लो की भविषवाणी है, जोकभी झूठी साबित नहीं होगी. आप शर्त लगा कर देख लीजिए.

अंग्रेजी बडी शिष्ट और क़ायदेदार ज़बान है. अब देखिए, बडी से बडी गलती करने पर भी आप महज एक शब्द बोल देते हैं "सॉरी" और लोग बाग कायल हो जाते हैं. वे उसके आगे कुछ बोल ही नहीं सकते. आपके सॉरी के बाद भी किसी ने अगर कुछ कहा तो उल्टा लोग उसी का बंटाधार करने लगेंगे कि "अरे भाई, क्यों पीछे पडे हो बिचारे के? बोला न उसने सॉरी. अब क्या चाहिए आपको?"

इसी तरह से एक शब्द है "थैंक यू" अब इसके लिए आप लाख धन्यवाद बोलिए, शुक्रिया कहिए, वह मज़ा नहीं जो थैंक यू में है. इसकी महिमा तो इतनी न्यारी है कि धन्यवाद, शुक्रिया बोलने के बाद भी जबतक लोग थैंक यू नहीं बोलते हैं, तबतक बोलने या शिष्टाचार की प्रक्रिया पूरी नहीं मानी जाती है. आप किसी से भी कभी भी कहें कि आप आ रहे हैं, लोग तपाक से कहेंगे, यू आ' मोस्ट वेलकम". कुछ अच्छा बोल दिया तो फटाक से कहेंगे, "सो नाइस ऑफ यू" छम्मकछल्लो इसकी हिन्दी खोजती रह गई, समझ में ही नहीं आया. अंग्रेजी तो अंग्रेजी, जो थोडी बहुत हिन्दी आती थी, उस पर भी आफत!

छम्मक्छल्लो जब दिल्ली में थी, तब डीटीसी की बस से सफर करती थी. उसकी एक बस के ड्राइवर को थैंक यू शब्द इतना अच्छा लगता था कि वह हमेशा चाहता था कि लोग उसे थैंक यू बोलें. एक लडकी उसे बोलती भी थी. एक दिन वह बोलना भूल गई. उसके बाद तो उसने ऐसी ड्राइविंग की गुस्से में कि लगा कि बस आज बस बस नहीं, विमान बन जाएगी. दूसरे दिन जब वह लडकी चढी, तब पहले तो उसने उससे कोई बात ही नहीं की. लडकी भी अपनी बेख्याली में फिर से उतरने लगी. इस बार उससे रहा नहीं गया. उसने कहा "ओये जी, आज भी बेगर थैंक यू के ही जाओगे?" लडकी मुस्कुरा पडी. उसने थैंक यू बोला. और जी लो, बस फिर से विमान बन गई.

इसी तरह से एक और शब्द है- "I will try my level best." हिन्दी में भी है- "मैं पूरी कोशिश करूंगा या करूंगी" मगर जो मज़ा आता है अंग्रेजी के इस वाक्य में, इतनी मासूमियत, इतनी गंभीरता, इतनी सिंसियेरिटी के साथ कि कोई समझ ही नहीं पाता है कि कहनेवाला आपको कितना उल्लू बना रहा है. छम्मक्छल्लो ने यह अक्सर देखा है कि जब भी कोई यह लाइन बोलता है, समझिए कि उसकी नीयत में खोट है. वह आने के मूड या मन में नहीं है. कभी आजमाकर देख लीजिए.

इसलिए आप मेहरबानी से उस शख्स की बात का कभी भी यकीन ना करें. उसके लिए अगर आप कोई इंतज़ामात करनेवाले हों तो वह कभी न करें, क्योंकि वह शर्तिया कभी भी आपकी तरफ का रुख नहीं करेगा. आनेवाला रहेगा तो वह एक्दम कहेगा तपाक से कि वह आएगा ही आएगा. खुदा ना खास्ता नहीं पहुंच पाएगा तो आपको इत्तला कर देगा. ख़बर नहीं कर पाया, उस समय तो बाद में बताएगा. माफी मांगेगा. आप कभी उसकी शिकायत भी न करें, क्योंकि जब भी आप दुबारे उससे मिलेंगे और उससे न आने की बात पूछेंगे, वह अगला पिछला कुछ नया बहाना बनाएगा, खोजेगा, उसे आप पर चस्पां करेगा और निकल जाएगा. तो क्यों आप उसकी और अपनी मिट्टी पलीद करते करवाते हैं. उसे झूठ पर झूठ बोलने पर मज़बूर करते हैं.

आपको अगर उसकी मिट्टी पलीद करनी ही है तो उससे सचमुच कुछ मत पूछिए. बन्दा समझदार होगा तो आपकी खामोशी उसे बहुत भारी पडेगी और वह आपको खुद ब खुद अपनी सफाई दे देगा. अब उसका सच या झूठ उसका अपना सच या झूठ होगा. छम्मक्छल्लो के एक नाट्य पाठ में यहां की एक बहुत नामचीन लेखक पूरा पूरा वादा करने के बाद भी नहीं आईं. छम्मक्छल्लो के नाट्य पाठ के बादवाले कार्यक्रम में वे दिखीं. पहले तो वे बडी बोल्ड सी बनी छम्मक्छल्लो के आसपास घूमती रहीं. उससे ही चाय मांगकर पी, पीकर अपना अपनापा दिखाती रहीं. कार्यक्रम के बाद कार्यक्रम की गुणवत्ता पर चर्चा करती रहीं. छम्मक्छल्लो भी उनके साथ पूरे अपनापे व आदर के साथ पेश आती रहीं. वे शायद यह अपेक्षा कर रही थीं कि छम्मक्छल्लो उनसे अपने कार्यक्रम में ना आने की शिकायत करे तो वे कुछ बोलें. उन्होंने तो यह भी नहीं कहा था कि I will try my level best बल्कि एक रात पहले कहा था कि मिलते हैं कल सुबह, तुम्हारे कार्यक्रम में. बाद में वे खुद ही कहने लगीं कि वे तो छम्मक्छल्लो का नाटक पढ सुन देख चुकी थीं. छम्मक्छल्लो ने बस विनम्रता से जवाब दिया कि यह नाटक न तो अभी तक कहीं छपा है, न पढा गया है और ना ही मुंबई में खेला गया है.

तो बस, कल्पना कीजिए और साथ में यह मानकर चलिए कि कोई कह रहा है कि "I will try my level best." तो बस उसे मान लीजिए, चाहें तो हल्के से मुस्कुरा भर दीजिए. बोलनेवाले को पूरा यकीन दिलाइये कि उसे आपकी कोशिश पर पूरा भरोसा है और उसे भूल जाइये, जैसे वह यह कहकर भूल जाता है.- इस रूप में कि उसकी यह कोशिश कभी भी सफल नहीं होगी, क्योंकि उसके लिए वह न तो नौ मन तेल का जुगाड करेगा और न अपने मन की राधा को नाचने के लिए अर्थात उसे आपके पास आने के लिए कहेगा. यह मन का वह दर्पण है, जिसमें वह झलकता है, जो नहीं है, और वह नहीं दिखता है, जो वह है.

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

यह अग्रेजी.तो बहुत छलिया भाषा है .....बढिया पोस्ट लिखी है..शुरु से अंत तक बाँधे रखा आपके इस लेख ने....।
थैंक यू:)

sangeeta sethi said...

vaastav me aapkaa lekhan achha hai . raajeev saraswat puraskaar milanaa hi tha | aapki anya kitaabe kahaan milegi