अवितोको रूम थियेटर के “निषेधों के पार: सृजन का संसार!” पर हिन्दी की लेखक मधु अरोड़ा के विचार और "दबंग दुनिया" अखबार में उसकी रिपोर्ट। आइये, जुड़िये, अपनी सृजनात्मकता को अपनी आवाज व पहचान दीजिये। संपर्क- 09820619161/ gonujha.jha@gmail.com
कार्यक्रम का उद्घाटन
नेशनल अवार्ड से सम्मानित अभिनेत्री उषा जाधव ने किया। पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज
ने सभी आागतों का स्वागत किया। उषा जाधव ने अपने संघर्ष के
सफ़र का ज़िक्र किया, तो दूसरी ओर गो -एअर की पायलट अदिति गुप्ता नागपाल
ने अपनी मनचाही मंज़िल पाने का श्रेय अपने माता-पिता को दिया। कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर
माला डे ने स्वीकारा कि उन्होने भी अपने दिल की बात सुनी और यह क्षेत्र चुना।
निष्कर्षत: तीनों महिलाओं का एक ही मानना था कि अपने मन का काम करने से सफलता मिलती है और इसके लिये शिद्दत, धैर्य व मज़बूत मनोबल की ज़रूरत है।
दूसरी पैनल चर्चा में
महिलाओं के अधिकारों की बात की अपने जमाने की महत्वपूर्ण पत्रिका ‘धर्मयुग’ की प्रखर पत्रकार डॉक्टर सुदर्शना द्विवेदी, वरिष्ठ एडवोकेट पूर्णिमा अवस्थी, अङ्ग्रेज़ी कवि व पत्रकार मेनका शिवदासानी, मराठी कवि शशि दंभारे
व फिल्म, टीवी, रंगमंच निर्देशक सीमा कपूर ने। उनके अनुसार हर महिला को अपनी लड़ाई
खुद लड़नी होगी। यदि महिलाएं अपने साथ हुई ज्य़ादतियों को पुलिस तक या महिला
प्रकोष्ठों में नहीं कह पातीं और वह भी सामाजिक परिवेश की वजह से...तो यह कारा
उन्हें तोड़नी होगी।
काव्यपाठ में कवियत्री
मालती जोशी, नेहा शरद, मेनका शिवदासानी, शशि दंभारे, मनीषा
लाखे, अर्चना
जौहरी, कविता गुप्ता के साथ-साथ कॉलेज की छात्राओं की कविताएं खूब पसंद की गई। मालती जोशी के “तेरे नाम का खत महकता बहुत है”
ने सभी का मन मोह लिया।
-मधु अरोड़ा .....लेखिका.....मुंबई
7 मार्च, 2015 को अवितोको रूम थियेटर का एक वर्ष पूर्ण होना और अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष का आना एकसाथ हुआ। सो इन
दोनों को उत्सव रूप प्रदान करने हेतु अवितोको रूम थियेटर ने मणिबेन नानावटी महिला
कॉलेज के साथ एक दिवसीय कार्यक्रम “निषेधों के पार: सृजन का संसार!” शीर्षक
के तहत आयोजित किया। जिसमें दो
पैनल चर्चां, काव्य पाठ, लोकगीत
व सोलो नाटकों
का समावेश था....
झंकार व मेघा श्रीराम ने अपने लोकगीतों से माहौल को सम्मोहित कर दिया। अभिनेत्री माधुरी
भाटिया ने पश्चिमी
व छाऊ नृत्य व गीत के माध्यम से 'आई एम
वूमन, मैं औरत हूं' की एकल नाट्य प्रस्तुति की, जिसपर दर्शक मुग्ध हो गये। पुणे की कलाकार मीनाक्षी सासने ने एकल नाटक प्रस्तुत
किया। विभा जी के जीवट को सलाम करना ही होगा कि वे इतना श्रम करती हैं और इतने कलाकारों को मंच प्रदान किया है, ताकि नये- पुराने कलाकार
अपनी प्रतिभा से एक दूसरे
के साथ साक्षात्कार कर सकें। मैंने महसूस
किया कि हिंदी साहित्यकारों को इस प्रकार के कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति
दर्ज़ करानी चाहिये, ताकि नई पीढ़ी की नब्ज़ को पहचाना जा सके और वे अपना सर्वोत्तम नई पीढ़ी को दे
सकें।
1 comment:
बहुत अच्छा लगा....सब जानना.....
दूर रहकर भी जुड़ाव महसूस किया....सबको बधाई व् मधु जी का आभार...
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