आइये, मनाते हैं 'रूम थिएटर' के तहत अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- नौरंगी नटनी के साथ। आज शाम 7 बजे- कम्यूनिटी सेंटर, सेक्टर 3, वाशी पुलिस स्टेशन के पास। आयोजक- नवी मुंबई म्यूजिक एंड ड्रामा सर्कल। शुक्रिया ग्रुप और Vivek Bhagat
इस नाटक पर दर्शकों और सुधिजनों के विचार!
आपका प्ले बहुत बढ़िया लगा, इतनी बारीकी और खूबियों
से नटनी और राजा को अलग से देख पा रहे थे आप में, बहुत वर्सेटाईल! कमाल! कभी फुर्सत से
बैठेंगे।–
मनीषा कुलश्रेष्ठ
adbhud!koi shabd hi
nahin mil raha...... bemisaal abhinay aapka.......uspar aapka diya hua prasad....maza
aa gaya.- मृदुला प्रधान
baap re.ettek neh
appan gamak lok e de sakai chai kono aur nai.Vibha rani didi hammar.adbhut
programme.a geet sab dil k bhitar samagel..bahut badhiya.nagarjun,gorakh
Pandey..ahhhha...- रूपा सिन्ह
विभा जी, आपके अभिनय में बाकई बहुत सी,बहुत ही बारीक़-बारीक खूबियाँ हैं
;वो,क्या
खूब थी , नौरंगी नटनी की भाव भंगिमाएं, और
भिन्न -भिन्न पात्रों की क्षण प्रति क्षण बदलती मुख
मुत्राएँ फिर चाहें राजा हो या राजा का भेजा गया संदेश वाहक के बीच नटनी के मध्य
सम्बाद …,कमाल देखने का यह है कि मात्र एक
ओढ़नी और एक कपड़े की कमर बन्ध को साथ में लेकर आपने तमाम पात्रों को अपने आप में
उतार दिया बहुत खूब -बहुत खूब … ! विभा जी आपके सन्निकट बिताया गया
क्षणिक वक्त स्मरणीय है हम सब उन लोगों
के लिए जो दिनांक २६,८,२०१३ को दिल्ली विश्व विद्यालय
के प्रांगण सर शंकरलाल सभागार में आप दवरा अभिनीत नाटक
"नौरंगी नटनी " के साक्षी थे,यहाँ आपको
एक रोचक प्रसंग बताना चाहूंगी,सभागार में जब मैं पहुंची थी उस
वक्त मात्र कुछ लोग ही थे मेरे अगली बाली पंक्ति में एक सुश्री बैठी थी,मेरे बैठने के कुछ देर बाद उन्होंने पलट कर देखा और पूछने लगी मैं
कहाँ से आई ?मेरा जबाव सुनकर उन्हें हैरानी
हुई, उसके कुछ देर बाद ,कुछ और सोचते हुए पुन:उनका प्रश्न था क्या आप यह भाषा समझतीं हैं
मेरा जबाव इस बार वही था … ; कला और कलाकार किसी भाषा,देश, जाति की सीमाओं में बंधा नहीं
होता जैसाकि आपने अपना अनुभव बांटते हुए कहा था,बहुत
ही सुंदर विचारों की आप मालिक हैं,मुझे याद है ,आखिरी क्षणों में मंच पर हम बहुत से लोग आ गये थे,आप पसीने में …;और आपको जोरों की प्यास लगी थी
हम में से किसी ने अपने पास का पानी … बावजूद इसके आपमें उत्साह और आंतरिक उर्जा देखने लायक थी,और क्या कहूँ मैंने आप द्वारा भेंट " जो मंच की प्रस्तुती में
प्रार्थना के साथ आपने अपने जादुई हाथों से हममें से,कुछ
एक को प्रसाद के तौर पे सफेद - सफेद मीठे -मीठे गोल-गोल " को सहेज कर रख छोड़े
हैं ,उन्हें देखिएगा ,जो फोटू आपके फेसबुक पर डाले हैं ! आपकी पूरी टीम को नौरंगी नटनी
की सफलतम प्रस्तुती के लिए बधाई सहित धन्यवाद ! विभा जी,अगर
आप की और आपके अभिनय की बात करें, मुझे सस्पष्ट दर्शयाभाव याद हैं एक पात्र शायद वह राजा का स्वभाव था जिसमें आपने क्या खूब अदा से
मूछों पर ताव दिया था वह गजब का भाव -अभिनय था,एक
जगह जब नौरंगी नटनी जहाँ अपने एक मात्र शिशु पुत्र को मालिश कर रही होती है,उस द्रश्य में आपके चेहरे पर
क्या गजब की मंमता और करुणा का मिला-जुला स्वरूप था वो द्रश्य देखने और दिल से
महसूस करने जैसा था,हाँ
याद आया नाटक के लगभग अंतिम पढ़ाव पर नौरंगी नटनी का पति जब उसे पहाड़ की ऊंचाई से
नीचे उतर आने का आग्रह करता है वह
द्रश्य भी यादगार द्रश्य था,कमाल तो इस बात का था मंच पर कोई
भी नहीं शिवाय एक मात्र विभा रानी के और हलचल,गहमा
गहमी इतनी कि मानों साद्रश्य नौरंगी राजा का पूरा दरबार सजा हो दूसरी तरफ नौरंगी
नटनी अपने मामूली से झोपड़े में स्वाभिमान के दम पर एक ताकतवर राजा का सामना कर
अपने -आप को कही कमजोर नहीं पड़ने देती,यहाँ एक ध्यान देने की यह है , नौरंगी नटनी के मुख्य पात्र, नटनी
के माध्यम से,आपने अपने अभिनय के द्वारा एक नारी शक्ति की ताकत की सफलतम पहचान कराने में एक तरह से समस्त
नारी समाज का प्रतिनिधित्व किया है ,निश्चित ही आपने अपने अभिनय की
बारीकियों से, यहाँ मौजूद तमाम दर्शक जनों को
मन्त्र मुग्ध कर दिया,ऐसा आपने स्वयं भी महसूस किया
होगा,कितनी ही बार दर्शकों की तालियाँ
इस बात की गवाही दे रहीं थी ,यकीनन आप अपने विषय में सिद्धहस्त,पारंगत और निपुण है,विभा जी यहाँ दिल्ली का अनुभव
कैसा रहा जरुर बताएं,यदि आपके स्वागत-सत्कार में कोई
कोताही रह गयी हो वो भी जरुर बताइयेगा,आखिर पता कैसे चलेगा कि हम
दिल्ली बालों की मेजबानी का तौर-तरीका कैसा है,कहते
हैं ना कि निंदक नियरे राखिये …;विभा जी भूल-चूक मांफ,शुभकामनाओ सहित धन्यवाद ! विभा
जी,यह
जो भी कुछ लिखा वह सब आपकी एक तरह से sprit
थी मैंने तो बस अपनी भाषा में शब्द दे दिए !- सीमा
सिंह
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