नारी अस्मिता, स्त्री अस्तित्व, महिला विमर्श पर ना जाने कितना साहित्य लिखा गया है। बहस अनवरत जारी है और शायद सृष्टि के रहने तक जारी रहेगी- "हरी अनंत, हरी कथा अनंता" की तरह! छम्मकछल्लो ने भी बहुत लिखा। इतना कि बोल्ग तो बना ही, ब्लॉग की किताब भी बन गई।
दृश्य माध्यम कम में ही अधिक कहने की ताकत रखते हैं। इसलिए छम्मकछल्लो ने स्त्री के इस रूप को शब्दों के बदले दृश्यों के माध्यम से देखने-समझने की कोशिश की है। आप भी देखिये कि जिसे हम स्त्री या नारी या औरत कहते हैं, वह अबतक क्या है? केवल भूमिकाओं में बंटी एक जीव या उसका अपना कोई अस्तित्व भी है? वह पहले एक व्यक्ति है या पहले माँ, बहन, बेटी, बीबी, पड़ोसिन? उत्तर आप दीजिये। आपके जवाब के अनुसार ही स्त्री का स्वरूप निर्धारित होगा।
"Owoo Woman-iya" आपके लिए है।देखिए और अपने विचार दीजिये। यहाँ। पर बेहतर होगा, अगर आप अपनी राय youtube पर देंगे। देखने और विचार देने के लिए लिंक है- https://www.youtube.com/watch?v=iWvtdFKb1VM&hd=1
दृश्य माध्यम कम में ही अधिक कहने की ताकत रखते हैं। इसलिए छम्मकछल्लो ने स्त्री के इस रूप को शब्दों के बदले दृश्यों के माध्यम से देखने-समझने की कोशिश की है। आप भी देखिये कि जिसे हम स्त्री या नारी या औरत कहते हैं, वह अबतक क्या है? केवल भूमिकाओं में बंटी एक जीव या उसका अपना कोई अस्तित्व भी है? वह पहले एक व्यक्ति है या पहले माँ, बहन, बेटी, बीबी, पड़ोसिन? उत्तर आप दीजिये। आपके जवाब के अनुसार ही स्त्री का स्वरूप निर्धारित होगा।
"Owoo Woman-iya" आपके लिए है।देखिए और अपने विचार दीजिये। यहाँ। पर बेहतर होगा, अगर आप अपनी राय youtube पर देंगे। देखने और विचार देने के लिए लिंक है- https://www.youtube.com/watch?v=iWvtdFKb1VM&hd=1
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