चाय-पानी हो गया! हम सब खाना-पीना भी खा रहे हाओंगे अपने-अपने समय पर। नई-नई रेसिपी भी आजमा ही रहे होंगे। सबकुछ अच्छा है। लेकिन, क्या होगा लॉक डाउन खत्म होने के बाद! मैं इस आसन्न संकट को सूंघकर काँप रही हूँ।
कैंसर जिसे होता है, उसे और उसके परिवार को वह तबाह करता है। लेकिन, कोरोना और उसके बाद का संकट कैंसर से भी बहुत बड़ा है। अभी से अनुमान है कि 100 मिलियन से अधिक नौकरी खतरे में हैं। अभी से ही कई जगह या तो लोग हटा दिए गए हैं या उन्हें अनिश्चितकालीन अवकाश पर भेज दिया गया है या उनकी तंख्वाह में से 20-40% तक की कटौती की जा रही है।
आज ही हमारे एक मित्र मुझे बता रहे थे कि नया नया काम शुरू किया था उन्होने- साल भर पहले। पैर जमाने शुरू हुए ही थे कि यह संकट। दस-बारह स्टाफ हैं। काम सारा बंद है। कहाँ से लाएँगे हर महीने तीन-चार लाख रुपए स्टाफ को पगार देने के लिए! कल मुझे सबको दिल पर पत्थर रखकर बताना होगा। पता है, बहुत inhumae है, लेकिन क्या करूँ? अप्रैल तक का तो किया किसी तरह, अब संभव नहीं हो पा रहा।
तो, कहने का अर्थ यह कि हम सबको मिलकर इसके रास्ते तलाशने होंगे। कल की नायिकाएँ कह सकती थीं कि "राम करे कि ऐसी नौकरी छूटे।" आज #कोरोना #संकट में यही कहा जा सकता है कि "नौकरी ना छूटे।" ना छूटे तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन.... दोनों ही सूरत में विकल्प खोजने होंगे काम के, क्योंकि पोस्ट लॉक डाउन संकट है बहुत भारी। #देखिये #BoleVibha467 में, मेरे साथ।
#Corona #LockDown3 #COVID19 #JobCrisis #NewJobs #Findoouttheway
https://www.youtube.com/watch?v=7NSR54m0uy0
4 comments:
सभी के लिए ये समय सोचनीय है । संकटकाल से उबरकर फिरसे पटरी पर ज़िन्दगी को दौड़ाने में धैर्य गम्भीरता की आवश्यकता होगी ।
बिलकुल सही कह रही हैं। ब्लॉग से जुड़े रहने के लिए धान्यावाद। पूरा देखनेके लिए यूट्यूब पर जाएँ, दिए गए लिंक के अनुसार। आभार।
रास्ते जरूर निकलेंगे -----
जहाँ एक रास्ता बंद होता है, वहीँ से दूसरे रास्ते की शुरुआत भी होती है !
संकटकाल मे ज़िन्दगी को पटरी पर दौड़ाने में वाकई धेर्य की आवश्यकता होगी
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