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Friday, February 27, 2015

"नौरंगी नटनी" - मैथिली फोक सोलो- समीक्षा- जितेंद्र नाथ जीतू

"नौरंगी नटनी" - मैथिली फोक सोलो- समीक्षा- जितेंद्र नाथ जीतू की- मैथिली में- मैथिली की वेब पत्रिका "मिथि मीडिया" में। थोड़ा मैथिली का आनंद लीजिये।


http://www.mithimedia.in/2015/02/blog-post_14.html
SATURDAY, FEBRUARY 14, 2015  MITHIMEDIA  


बंबइ : काला घोड़ा आर्ट फेस्टिवलमे 11 तारीखकें मैथिली साहित्य आ रंगमंचक सशक्त हस्ताक्षर 'विभा रानी'क एकल मैथिली नाटक 'नौरंगी नटनी' केर मंचन भेल. संजीव क हिन्दी उपन्यास सर्कसक एकटा अंश पर आधारित एहि नाटकमे मैथिली आ हिन्दी दुनूक प्रयोग भेल अछि. मुदा एहि नाटकमे नायिका नटनीक संवाद आ गीत मैथिलीमे छल. 

नटनीक बहन्ने नाटक ई समाद देइत अछि जे अपन अधिकार लेल आदमीकें सदिखन जागरूक रहबाक चाही. नाटकक नायिका नटनीक करतबक चर्चा जखन राजा लग पहुचैत अछि त' राजा ओकरा दरबारमे बजबैत अछि. राजा ओकरा कहैत अछि जे तू अपन करतब सं ई दूरी तय क' लेमे त' हम आधा राजपाट तोरा बेटाकें  द' देबौ. पहिने त' नटनी भयभीत भ' जाइत अछि मुदा बेटाक नीक भविष्यक खातिर ओ तैयार भ' जाइत अछि. जखन नटनी अपन लक्ष्य लग पहुचएबला रहैत अछि कि राजा एकाएक चिंतित भ' जाइत अछि जे कहीं नटनी सफल भ' गेल त' ओकर बेटा हमर बेटाक आधा राजपाटक मालिक भ' जाएत. राजाकें ई किन्नो मंजूर नहि जे एकटा अछूतक बेटा राज्यक स्वामी बनै ओकर बेटाक बराबरी करै. राजा रस्सीकें काटि देइत अछि मुदा नटनी जे मंजिल लग पहुचैबला छल से अपन बेटाक अधिकार लेल राजाकें मारि देइत अछि. ई नाटक जातिगत ढाचा आ ऊँच-नीचक परिपाटी पर प्रहार करैत अछि. 

नाटकमे विभा रानी कखनो नटनी त' कखनो राजा त' कखनो सेनापति  त' कखनो कोरस बनैत छथि आ अपन अभिनय सं बाडीक मूवमेंट सं दर्शककें सदिखन लगैत अछि जे कतेक कलाकार मंच पर काज क' रहल अछि. विशेषक' नटनीमे हुनकर अभिनय नीक लगैत अछि. जेना गाम घरमे बौआ सबकें माए-दादी तेल-कूर लगबैत अछि तहिना नटनी अपन बेटाकें तेल-कूर लगबैत अछि एहन-एहन कतेक दृश्य अपन मिथिलाक माटि पानिक याद दिलाबैत अछि. कतहु-कतहु नाटकक स्लो पेस कने अखरैत अछि. शुरूआत मे सेहो नाटकक गति कने धीमा छल मुदा जेना जेना कथा आगू बढैत अछि दर्शक लोकनि नाटकमे रमि जाइत छथि. 


प्रियदर्शन पाठक संगीत आ विभा रानीक गाओल गीत नाटकक कहानीकें आगू बढबैत अछि. नाटकमे बाबा नागार्जुन आ गोरख पाण्डेय केर गीतक सेहो नीक प्रयोग भेल. एहि नाटकक निर्देशक छलाह राजेन्द्र जोशी.


(रिपोर्ट : जीतेंद्र नाथ जीतू)

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