8 फरवरी को “अवितोको रूम थिएटर” द्वारा आयोजित“वसंत के राग-फाग” कार्यक्रम ने वहाँ मौजूद सभी के मन को खुशियों से आलोड़ित कर दिया।“अवितोको रूम थिएटर” के प्रेमियों के लिए, प्रेमियों के द्वारा और प्रेमियों से सजी इस शाम ने वसंत और होली के रंगों से माहौल को कला और साहित्यमय कर दिया। कविता, कहानी, व्यंग्य, नाटक, पेंटिंग, गीत, लोक गीत, होली गीत! लोग आते गए और अपनी-अपनी कला की छाप छोड़ते गए। वसंत को गानेवाली 7 वर्षीया आरना थी तो अपने नाटक और सालसा नृत्य से सभी को सम्मोहित करनेवाले वरिष्ठ नागरिक और फिल्म, टीवी, रंगमंच कलाकार राम गिरिधर थे। मनीषा मेहता के व्यंग्य से हॉल ठहाकों से गूंज रहा था तो सुजाता के प्रश्न कि रावण के दर्द को कब लोग समझेंगे, लोगों के मन में प्रश्न- प्रति प्रश्न पैदा कर रहा था। प्रभा मुजूमदार और दिल्ली से आई सीमा सिंह की कविताएं सबके मन में उत्सुकता जगा रही थीं, तो उत्कर्ष और अग्रिमा ने अपनी पेंटिंग के जरिये यह बताया कि वसंत हमारे द्वार पर ठिठका खड़ा है, पेड़ -पौधों का नाश कर हमी उसे आने से रोक रहे हैं। वसंत की महत्ता खेत-खलिहानों के अनाज, सरसों के फूल, आम की मंजरियों के साथ साथ होली-गीत के बिना संपूर्ण नहीं होती। झूमर और होरी गीत में सभी को सराबोर किया विभा रानी और अविनाश दास ने। गीत, नृत्य पर लोगों के कदम थिरकते गए, थपकियों से सुर मे सुर मिलते गए और डूबते गए लोग वसंत के मदमाते रंग और रूप में। और इन सबको अपने कुशल संचालन से कड़ी-दर कड़ी में पिरोया डॉ निवेदिता सरकार ने।
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