छम्मकछल्लो नाम नहीं, काम की बात कर रही है- चंदा रे, चंदा रे, कहीं से जमीं पर आ, बैठेंगे, बातें करेंगे...! गीत गाने के लिए नहीं और न ही किसी चंदा नाम की किसी लडकी पर मरने के लिए. भाई असांजे ने जब से यह कहा है कि भारतीयों के खाते भी स्विस बैंक में है, तब से छम्मकछल्लो की भी महत्वाकांक्षा को पंख लग गए हैं. अपने पंख के बलबूते तो वह आसमान के चंदा तक तो पहुंच सकती है, मगर धरती पर बसे स्विस बैंक में खाता खोलने के लिए धरती का चंदा जरूरी है.
छम्मकछल्लो को इस देश के लोगों की नादानी पर बडी हैरानी होती है कि बाहर से कुछ आने पर ही हम उसे गम्भीरता से लेते हैं, सबकुछ शीशे की तरह साफ होने के बावज़ूद. सभी जानते हैं, भ्रष्टाचार क्या है. माननीय सुप्रीम कोर्ट तक इसपर अपने विचार जब तब देती रही है. फिर भी, इसकी सुनामी आने तक लोग अपने शब्दकोश में भ्रष्टाचार का दाखिला ही नहीं मान पा रहे थे. अचानक भ्रष्टाचार की हवा चली. सभी उसमें उड लिए. लगा कि एक ही आंदोलन में भ्रष्टाचार की जड में ऐसा मट्ठा पड जाएगा कि आगे कभी यह अंकुराएगा ही नहीं. फलने-फूलने की बात ही जाने दीजिए.
एक विकीलीक्स ने देश के बारे में कुछ खुलासा कर दिया. सभी ऐसे उछले, मानो इसे कभी जानते ही नहीं थे. अभी असांजे भाई साब ने खुलासा कर दिया कि भारतीय पैसे भी स्विस बैंक में हैं. सभी ऐसे चौंके, जैसे यह जापान के सुनामी की तरह एकदम नई बात हो. देश भर में मोबाइल मेसेज के तहत खबर चल रही है कि अगर सभी भारतीय के जमा पैसे भारत में वापस आ जाएं,तो देश गरीब रहेगा ही नहीं.
छम्मकछल्लो की समझ में एक ही बात आ रही है कि अब बुढापे की ओर बढती उसकी उम्र में पैसे की बहुत ज़रूरत पडेगी. अबतक जो कमाया, उसे घर, गृहस्थी में लगा दिया. काश कि कुछ पैसे यहां भी डाले होते. लेकिन उसके लिए तो इतनी आमदनी चाहिए ना कि वह अपनी जरूरत से ऊपर हो.
छम्मकछल्लो को बडा बनने का भी बडा शौक है. यहां पैसे हमारे जैसे भुक्खड तो डालते नहीं होंगे. वह नाम, दाम दोनों चाहती है. इसलिए, सभी से निवेदन कर रही है कि सभी उसकी कामना के हवन में धन की समिधा भेजें, ताकि वह भी हवन का प्रसाद स्विस बैंक में रख सके और अपने आपको बडे लोगों की गिनती में शुमार कर सके, साथ ही, अपने बुढापे में होनेवाले अतिशय खर्च के भय से भी मुक्त हो जाए. अभी दो दिन पहले ही उसने अपने साध्वी बनने की घोषणा अपने ब्लॉग पर, फेसबुक पर कर दी है. तो माते छम्मकछल्लेश्वरी के लिए अपनी संचित निधि का दान करो. माया तो महाठगिनी है, यूं ही आनी है जानी है, उसका क्या! अब क्या माया रखना और उसके लिए क्या लोभ करना. दान से इहलोक और परलोक दोनों सुधरते हैं. इसलिए, ओ ब्लॉगिए, ओ ई-मेलिए, ओ वेबसाइटिए, ओ फेसबुकिये फ्रेंडस! जल्दी से भेजो, जल्दी जल्दी सुधरो और सुधारो, क्योंकि स्विस बैंक की लूट है, लूट सके से लूट, अंत काल पछताएगा, जब प्राण जाएंगे छूट.
5 comments:
अभी-अभी मैंने साध्वी छम्मकछल्लेश्वरी देवी के नाम रुपये बीस हज़ार करोड मात्र के चन्दे का ब्लेंक चेक काट दिया है...भेजने के लिये पता चाहिये.
छम्मकछल्लेश्वरी कुटीर, अविश्वास मार्ग, कुरीति गंज, प्रपंच नगर- 00000000000, फोन- 1111111111
क्या करें परम्परा है है इस देश की ....
बाहर वाले जब महत्व दें तो मानो की ये महत्त्व की चीज है.......
और ये देश महान परम्परावों का वाहक रहा है...
यहाँ के लोग परम्परा के लिए जीते मरते रहते हैं...
भला ऐसे में इस मामले में भी विदेशी सुचना को कैसे महत्त्व नहीं दिया जाता....
वाकी देशी लोगों की बात करना ही बेकार है...
क्या बात है भाई छम्मक छल्लो ! बहुत शानदार पोस्ट है . गहरा घाव. कभी हमारी गली भी पधारो !
जरूर रूप. दुनिया 'रूप' पर ही तो ट्किइ है. हम 'बेरूप' को कौन पूछता है?
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