chhammakchhallokahis

रफ़्तार

Total Pageviews

छम्मकछल्लो की दुनिया में आप भी आइए.

Pages

www.hamarivani.com
|

Saturday, July 26, 2008

अजय टीजी के लिए

अजय टीजी फ़िल्म मेकर हैं, और अपने स्वतन्त्र देश में अपनी अभिव्यक्ति की सज़ा पा रहे हैं। ५ मई, २००८ से वे छत्तीसगढ़ की जेल में बंद हैं। उन्हें छुडाने के लिए अदूर गोपल कृष्णन, श्याम बेनेगल, मृणाल राय जैसे फ़िल्म मेकर अपनी अपील दे चुके हैं। अजय टीजी को आप जाने, अपने को व्यक्ति समझने के लिए यह ज़रूरी है। उनके लिए एक कविता -
"यह कोई नहीं है समर्थन
यह है अपनी मज़बूरी की लिजलिजाती, बू से भरी अपनी देह का एहसास
कि इसमें रहता है एक मन भी
और उस मन का मन होता है कि वह बोले, देखे, दिखाए वह सब
जिसे देखने से हमारा मन हो सकता है ख़राब
जिसे चख कर हमारी जीभ में भर सकता है करेले का कड़वापन
जिसे सूघ कर हमारे दिमाग की नस-नस में भर जाती है वह असहनीय दुर्गन्ध।
मेरे भाई अजय,
तुम बेवकूफ तो नहीं थे या पागल, कि चल पड़े थे एक ख्वाब की कालीन बुनने
जिसमें हर कोई है भरे पेटवाला,
हर बच्चे की पीठ पर है बस्ता
हर माँ के चहरे पर है मुस्कान
हर व्यक्ति के पास है कमाने-खाने के साधन
किस दुनिया में हो मेरे भाई।
क्या तुम्हे नहीं पता कि अभी-अभी तो जान बची है उनकी
यह भी तो एक सत्य है ही ना
कि किसी के जीने के लिए किसी को मरना ही पङता है
अब ऐसे में देश मर भी गया तो क्या?
यह तो खुशी मनाने की बात है, जैसे सभी ने खुशिया मनाई थीं
जब लटकाया गया था सद्दाम हुसैन
जब कहा गया कि उसके फांसी पर लटकने के वक़्त
सोया हुआ था आका
अवाम जग रही थी
और चिपकी हुई थी टीवी
लोगों ने गिलगिला कर हर्ष से तालियाँ बजाई थीं
और चैन की साँस ली थी कि
आजाद हुए शैतान से।
आका तेल के कुँए पर बैठ मुस्कुरा रहा था
अब ठहाके लगा रहा है
अब भी लोग ले रहे हैं चैन की साँस
बच गए हम
अब आयेगा देश में सुख-सुविधाओं का रेला
अब अजय भाई, तुम भी तो नाहक झगड़ बैठते हो
मत्था टेक लो
आका खुश तो बच जाओगे तुम
पर ऐसा हो सकता है क्या अजय भाई।
मेरा मन कहता है
अभी तुम नहीं हुए हो इतने स्वार्थी कि
हम सबको मार दो देश की तरह
तुम्हारी लड़ाई ही तो ताक़त है उन सबकी
जो झेल रहे हैं अपने ही घर में आग, पानी, हवा का प्रकोप।
उनके लिए तो तुम्हारी-हमारी बात ही रखेगी जले पर फाहा
तुम अपने एहसास एक साथ रहो भाई,
हमें खुशी है कि धरती भारी नहीं है पूरी शैतानों से।
----

No comments: