chhammakchhallokahis

रफ़्तार

Total Pageviews

छम्मकछल्लो की दुनिया में आप भी आइए.

Pages

www.hamarivani.com
|
Showing posts with label अवितोको रूम थिएटर. Show all posts
Showing posts with label अवितोको रूम थिएटर. Show all posts

Thursday, March 12, 2015

नि:शब्द!- पूर्णिमा अवस्थी



नि:शब्द!
जिस कार्यक्रम से आप झूमते मुस्कुराते बाहर निकलें ,उस कार्यक्रम और उसके आयोजक को क्या कहेंगे?

कल 7 मार्च 2015 को ऐसा ही एक कार्यक्रम अवितोको रूम थिएटर की पहली वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में
 आयोजित किया गया था मुंबई के मणिबेन नानावटी महिला कॉलेज में.
सुबह का सत्र डिस्कशन और बाद का सत्र कविता पाठ और सांस्कृतक कार्यक्रम का. इतना सुनियोजित, सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया कही कोई खामी नहीं! सब समय पर !
मुझे भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला। वरिष्ठ पत्रकार सुदर्शना द्विवेदीजी, डॉ. शशि शर्मा, मेनका शिवदासानी, सीमा कपूर और शशि दंभारे! इन सबके साथ मंच पर बैठने का रोमांच वर्णन करना संभव नहीं। 
अपनी गज़लों से मन मोहनेवाली मालती जोशीजी! जिनके पिताजी अगर कवि सम्मलेन में हैं, तो भैय्या पास का जुगाड़ लगाने लग जाते थे, ऐसे आदरणीय शरद जोशी जी की बिटिया वो नेहा शरद, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री उषा जाधव राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कॉस्ट्यूम डिजाइनर माला डे जी, युवा पायलट अदिति गुप्ता नागपाल, कवयित्री कविता गुप्ता, शशि दंभारे, मनीषा लाखे, अर्चना जौहरी, छाउ डांसर और सिने एक्ट्रेस माधुरी भाटिया! इन सबके साथ दिन बिताना बहुत ही रोमांचकारी रहा। 
मेरे फेसबुक मित्र मधु अरोड़ा, पत्रकार चण्डीदत्त शुक्ल से मिलना भी कम रोमांचकारी नहीं था।
कार्यक्रम में जान फूंक दी झंकार और मेघा श्रीराम के मैथिली और झारखंडी लोक गीतों ने.!
आज महिला दिवस में क्या करूँ ,कैसे मनाऊँ ? कल के उल्लास से बाहर निकलूं तब ना ?
      इस सबका सारा श्रेय विभा रानी, अजय ब्रह्मात्मज जी को! इतनी ऊर्जावान, प्रतिभावान होते हुए भी कितनी विनम्र !
      दिमाग मन को सिग्नल देता है कि आदर भाव से उनके प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए, जिन्होने ये मौका और क्षण उपलब्ध कराये। 
      आभार विभाजी और बधाई हमारे अवितोको रूम थिएटर के जन्मदिवस की और शुभकामनाएं इसके तरक्की की।
-पूर्णिमा अवस्थी 

Friday, March 6, 2015

अवितोको रूम थिएटर- नया रूप, नई अवधारणा - “निषेधों के पार: सृजन का संसार!”

 क्या है अवितोको? क्या है इसका रूम थिएटर? क्या और कैसे काम करता है यह? कैसे जुड़ सकते हैं आप इससे? जानने-समझने के लिए आइये, देखें इसको। 

"1 मई 2001 का दिन। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस। सफेदपोशी मजूरी कर रहे कुछ सृजनात्मक जुनूनियों के दिलों में बहुत कुछ घुमड़  रहा था। अपनी सृजनशीलता को लेकर गहरे डूबे हुए, उसमें अपना आकार- प्रकार खोजते हुए। सभी के मन में कई- कई जद्दोजहद! हम इस समाज में रहते हैं, इस समाज से सबकुछ लेते हैं, यहाँ तक कि अपनी रचनाओं के लिए भी समाज के ही लोगों में से अपने पात्र चुनते हैं। ...लेकिन, बदले में हम इस समाज या इन चरित्रों को क्या देते हैं? फिर तो हम भी शोषक हुए! .....कई दिनों, महीनों की आपसी जद्दोजहद, कश्मकश के बाद जन्म हुआ अक्षर विश्व का तोष एवं कोशयानि अवितोको का। ये बेचैन आत्माएँ थीं- अजय ब्रह्मात्मज, प्रणय नारायण, संजय कुमार, मंजिता नारायण और ऐसे ही कुछ अन्य लोग!। ...पहले ही तय हुआ कि अवितोको की स्थापना का कोई प्रचार -प्रसार नहीं किया जाएगा। ....काम करो। लोग हमें हमारे काम से जानेंगे। .... और शुरू हुआ अवितोको के काम! अपनी स्थापना के दूसरे दिन से ही ज़रूरतमन्द लोगों के लिए घरेलू उपयोगी वस्तुओं का वितरण, बच्चों, युवाओं के साथ-साथ कॉर्पोरेट सेक्टरों के लिए विकासात्मक प्रशिक्षण। वृद्धाश्रमों और अनाथालयों के साथ बातचीत। पुस्तकालयों के लिए पुस्तकें देना।
कुछ संतोष हुआ। मगर, यह तो बहुत सरल और साधारण से लगनेवाले प्रयास थे। काम में चुनौतियाँ ना हों, तो उसे करने का आनंद कम हो जाता है। रास्तों की तलाश होती रही और अंतत: यह रास्ता मिला जेलों की दीवार से, जिसके भीतर जिंदगियाँ धड़कती हैं, गुमनाम, सहमी, घर-परिवार और हित-मित्रों से अलग। और सफर शुरू हुआ जेलों का, बंदियों के लिए। माध्यम थे, कला, साहित्य और रंगमंच! यह भी तय था - उन्हें कुछ सर्जनात्मक क्षण प्रदान कर उनके ओठों पर मुस्कान लाएँगे, उन्हें व्यक्ति, संपत्ति और देश की महत्ता से जोड़ना। मुंबई की भायखला, आर्थर रोड, कल्याण और ठाणे सेंट्रल जेल तथा पुणे की यरवदा जेल अवितोको की गतिविधियों के केंद्र बने। बंदियों को अवितोको का संग-साथ भाने लगा। वजह?आप सब हमसे हमारा अतीत नहीं पूछते, हम सबको ईश्वर का गुण-गान करने को नहीं कहते, यह नहीं कहते कि हमने पाप किया है, इसलिए इसका प्रायश्चित करो, बल्कि, आप हमारे भीतर की दबी-सोई कलात्मक अभिव्यक्ति को बाहर निकालने की कोशिश करते हैं।
भीतर की दबी-सोई कलात्मक अभिव्यक्ति को बाहर निकालने की कोशिश के तहत पिछले साल मार्च में अवितोको ने रूम थिएटरशुरू किया, ताकि हर आयु, वर्ग के लोगों की छुपी हुई प्रतिभाओं को मंच मिले, अपने क्षेत्र के गुणीजनों की संगत और उनकी बातें आज के लोगों तक पहुंचे और न्यूनतम खर्च मे अच्छे नाटक देखने को मिले। साहित्य, फिल्म, नाटक,कविता, कहानी, यहाँ तक कि संचालन-कला तक पर अवितोको रूम थिएटर ने कार्यक्रम किए और अपनी बात सभी तक पहुंचाने में कामियाब रहा है।
अवितोको रूम थिएटर अपने एक साल के पूरे होने को महिला सृजनकारियों के साथ निषेधों के पार: सृजन का संसारके रूप में मना रहा है, जिसमें अपने-अपने क्षेत्र की महिला सर्जक अपनी कहानी, अपनी यात्रा साझा करेंगी सबके साथ, ताकि नई पीढ़ी को अपना रास्ता चुनने में आसानी हो सके। कार्यक्रम का उदघाटन राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कलाकार उषा जाधव करेंगी। चर्चा के पहले सत्र निषेधोएँ के बीच संवेदनाओं का संरक्षणमें भाग लेंगी, माला डे, अदिति गुप्ता, उषा जाधव, कानुप्रिया पंडित और निवेदिता बौंठियाल। चर्चा के दूसरे सत्र महिलाएं- अतीत, वर्तमान, भविष्य- आशाओं का क्षितिजमें भाग लेंगी, मेनका शिवदासानी, पूर्णिमा अवस्थी, सीमा कपूर, शशि दंभारे, सुदर्शना द्विवेदी और शशि शर्मा। काव्य-पाठ के सत्र में हैं- अर्चना जौहरी, कविता गुप्ता, मालती जोशी, मनीषा लाखे, मेनका शिवदासानी, नेहा शरद और शशि दंभारे। लोकगीत प्रस्तुत करेंगी झंकार और मेघा श्रीराम तथा नाट्य प्रस्तुतियाँ होंगी माधुरी भाटिया, मीना सासने और विभा रानी की। आभार ज्ञापन मधु अरोड़ा करेंगी। यह कार्यक्रम है शनिवार 7 मार्च को सुबह 10 बजे से मणिबेन नानावटी महिला कॉलेज, विले पार्ले (प), मुंबई में। विशेष जानकारी के लिए संपर्क किया जा सकता है- 09820619161/gonujha.jha@gmail.com पर।" 


Wednesday, March 4, 2015

माला डे- महिला मार्ग सर्जक

सुनिए, राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म, टीवी, थिएटर कॉस्ट्यूम डिजाइनर माला डे के विचारअवितोको रूम थिएटर के सालाना जलसे में महिला मार्ग सर्जकों के लिए आयोजित कार्यक्रम :निषेधों के पार: सृजन का संसार" में । थिएटर परिवार में जन्मी, पाली, बढ़ीं सीमा ने अपने भाइयों से अलग अपनी पहचान बनाई हैं और स्त्री बोली की मुखर पक्षधार रही हैं। भूलिएगा नहीं- मणिबेन नानावटी महिला कॉलेज, विले पार्ले पश्चिम, मुंबई। सुबह 10 बजे से। संपर्क_ 09820619161/ gonujha.jha@gmail.com   

1.       Mala Dey is a national award winner costume designer. A graduate from Hindustani Vocal music, she has done costume designing for films, serials and plays. Films Tamas, Rudali, Aghat, Bawander, TV serials, such as Kismat, Raag Darbari, Hamrahi, The Warrior, Bhokshu- The Myth, Shadows of Time, plays, such as Naurangi Natni, Chanakya, Vivekanand are some of the names. She had won ITA award for her serial ‘Amrapali’. 

Tuesday, March 3, 2015

सीमा कपूर- निषेधों के पार: सृजन का संसार में।


अवितोको रूम थिएटर के सालाना जलसे में महिला मार्ग सर्जकों के लिए आयोजित कार्यक्रम :निषेधों के पार: सृजन का संसार" में सुनिए, फिल्म, टीवी, थिएटर निर्देशक सीमा कपूर के विचार। थिएटर परिवार में जन्मी, पाली, बढ़ीं सीमा ने अपने भाइयों से अलग अपनी पहचान बनाई हैं और स्त्री बोली की मुखर पक्षधार रही हैं। भूलिएगा नहीं- मणिबेन नानावटी महिला कॉलेज, विले पार्ले पश्चिम, मुंबई। सुबह 10 बजे से। संपर्क_ 09820619161/ gonujha.jha@gmail.com   
1.       Seema Kapoor is a theatre personality and a film and television director. Born in a theatre family, she worked with Habeeb Tanveer, Astad Debu, Rajendra Nath, Ranjeet Kapoor. She has directed puppet and other various serials for Doordarshan. Worked with DADI PADAMJI, SWEDEN’S GUNTER WETZEL, RUSSIA,s OBRASOV, she  represented India in U.S.S.R, Germany, Japan, Bulgariya, Canada etc. Written Screenplay and Dialogue for feature film “ABHAY” and made documentary films ‘Mahanadi ke kinare’ for Chhattisgarh Tourism Board. Her film, ‘Haat- a weekly bazaar’ Won  the best director award of the third Eye Asian film festival and was selected for various films festivals. Seema has written, directed and produced serials, such as  “QILE KA RAHASYA” , ZINDADGINAMA,  “CIRCUS”,  “ITTEFAQUE” & “YOON HI CHHOO LIYA KISI NE” “FAASLEY” , “KNOCK KNOCK KAUN HAI” and many more.  

Monday, March 2, 2015

शशि दंभारे को सुनिए-अवितोको रूम थिएटर में।

शशि दंभारे मराठी की युवा कवि व लेखक हैं। लेखन के प्रति जुनून ने उन्हें बहुत तकलीफ भी दी, लेकिन उनसे हार न मानते हुए उन्होने अपना लेखन जारी रखा। उनके लेखन में आम महिलाएं अपना प्रतिबिंब देखती हैं। शशि को आप सुन सकेंगे अवितोको रूम थिएटर के महिला मार्ग सर्जकों के कार्यक्रम "निषेधों के पार:सृज़न का संसार" में- 7 मार्च, 2015, मणिबेन नानावटी महिला कॉलेज, विले पार्ले (पश्चिम), मुंबई। सुबह 10 बजे से। आइये। संपर्क करें- 09820619161/ gonujha.jha@gmail.com पर।

Shashi Dambhare is a Marathi poet and short story writer. She isthe voice of common women who see their reflection of their lives in her through her writing in Lokmat supllimentry SAKHI, which she continued from 2001 to 2010. She is the winner of state level award of Lokmat group  For shortstory in 2006. She has two books published: Rimjhim (poetry collection), and Praharvena - A collection of good wishes on fb at morning, noon , evening and nights. Shashi stays at Nagpur.