पत्नियां
केवल पत्नियां होती हैं।
उनका न नाम होता है, न काम। उ
नके कमाए का कोई दाम भी नहीं।
नाम, दाम और काम उनका अगर है भी तो इससे पतियों को क्या!
उनके लिए पत्नियां उनके खूंटे की रस्सी होती है।
बंधी रहेगी।
छूटने या टूटने की कोशिश करेगी तो छान पगहा तुड़ानेवाली कही जाएगी,
जिसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं।
आधुनिकतम विचारोंवाले पति हैं ऐसे।
बाकियों के तो भगवान ही मालिक!
हे पत्नियां!
तुम्हे तो फिर भी जीवन के सभी तरह घूंट पीते हुए जीना है।
इसलिए, जियो, पति के नाम।
जियो, पति के काम के नाम।
जियो, पति के सम्मान के नाम।
जियो, उनकी मुस्कान में होठ फ़ैलाने के लिए।
जियो, उनके क्रोध में थरथराने के लिए।
जियो, उनके संग साथ से सुहागवती बनी रहने के लिए।
जियो, उनके हर लिखे, अलिखे पर अपनी सहमति देने के लिए।
जियो, यह खोजने के लिए कि तुम पतियों की दुनिया में कहाँ हो?
इन सारे सवालों को मथने के लिए और जवाब में केवल छाछ पाने के लिए
हे पत्नियां, तुम जियो।
अनंत अनंत काल तक तुम जियो,
केवल पत्नी और पत्नी बने रहने के लिए।
तुम मनुष्य हो, यह सवाल केवल और केवल तुम्हारे लिए है।
इस सवाल को बनाए रखने के लिए भी अंतत: तुम जियो!
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