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Friday, October 11, 2013

सिंगल मदर - एक सनसनाता तीर!

आखिर मशहूर अभिनेत्री केट विन्सलेट ने भी कह ही दिया कि अकेली माँ होना कितना मुश्किल है। केवल इसी देश को गरियानेवालों और पश्चिम पर मर मिटनेवालों! सुनो, सुनो इस पश्चिम की भी हकीकत, कि नहीं है समादृत औरत यहाँ भी। केट विन्सलेट के दो पतियों से क्रमश: 12 और 8 साल के दो बच्चे हैं और उनका कहना है कि समाज के जो तौर तरीके हैं, उनमें अकेली माँ यानी सिंगल मदर होकर रहना बहुत ही मुश्किल है। टाइम आउट पत्रिका ने उनका उद्धरण दिया, जिसे छम्मकछल्लो 8/10/2013 के हिंदुस्तान टाइम्स के एंटरटेनमेंट पन्ने से ले आई है- “It does not matter, whether you’ve got money, whether you’re famous or not. You have to carry on.” केट विन्सलेट का कहना है कि ऐसे कई मौके आए, जहां उन्हे कई तरह की अवान्छित स्थितियों का सामना करना पड़ा। वे कहती हैं कि सिंगल मदर के सामने समय बड़े कठिन रूप में आता है। सिंगल मदर के लिए सोसाइटी बड़ी ही जजमेंटल होती है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि जीवन में ऐसे भी हालात आएंगे।

 छम्मकछल्लो को बड़ा अच्छा लगा। अब समझ में आया कि लोग कहते हैं- बड़े लोगों की बड़ी बात! होती होंगी बड़े लोगों की बड़ी बात, लेकिन वे सब लोग हैं, लोगिन नहीं। समाज और समाज की मान्यता लोगों ने बनाई है- लोगिन ने नहीं। हमारी ही काली व शक्ति-पूजा की तरह वे भी वर्जिन मदर की पूजा करेंगे, लेकिन जीवित वर्जिन मदर या सिंगल मदर की जान सांसत में डाल देंगे। जैसे हम अपने यहाँ करते हैं- मंदिर की देवियों की पूजा करते हैं और जीवित देवियों को नैना साहनी, प्रियदर्शनी मट्टू, निर्भया, रुचिका बना देते हैं। हम राधा की पूजा करते हैं, लेकिन प्रेम करनेवालों को जान से मार देते हैं। लड़की किसी की ओर देख ले तो वह वेश्या, छिनाल से भी बदतर हो जाए।

छम्मकछल्लो खुश है कि चलो, कहीं तो हम समान हुए। तलाक़शुदा, विधवा, सिंगल मदर की हालत वहाँ भी खराब तो यहाँ भी। औरत वहाँ भी मादा, यहाँ भी। निदा फाजली की लाइन याद आती है-

            इंसान में हैवान यहाँ भी है, वहाँ भी,
            अल्लाह मेहरबान, यहाँ भी है, वहाँ भी!  
तो क्यों माथा-पच्ची करें हम सब! मान लेते हैं हम सब आपकी सत्ता! आप हैं भगवान! यहाँ भी, वहाँ भी, आपसे ही है, हमारी जान, यहाँ भी, वहाँ भी! चल फकीरन, घर चल। ऐसा घर, जो तेरा हो और जहां तू बेखटके किसी की परवाह किए बिना रह सके।######  

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