पिछले दिनों विभा रानी लिखित व अभिनीत एकपात्रीय नाटक “मैं कृष्णा कृष्ण की” का मंचन मुंबई के सुप्रसिद्ध काला घोडा आर्ट फेस्टिवल, 2011 के तहत नैशनल गैलरी ऑफ्र मॉडर्न आर्ट के सभागार में किया गया. मिथक और मिथकीय पात्र अपने समय के साथ साथ आज भी प्रासंगिक हैं. यही कारण है कि आज भी मिथकीय चरित्रों को लेखक, कलाकार आदि अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाते रहे हैं. इन चरित्रों की वर्तमान प्रासंगिकता कहती है कि भले ही आज हम अपने आपको आधुनिक कहलाने का दम्भ भर लें, सच तो यह है कि हम आज भी अपनी पुरानी सोच की जंजीरों से जकडे हुए हैं.
“मैं कृष्णा कृष्ण की” द्रौपदी और कृष्ण के सखा भाव पर आधारित नाटक है. महाभारत की पात्र द्रौपदी जीवन भर अनेक तरह के उथल पुथल का शिकार रही. उसे तथाकथित धर्म के नाम पर बार बार बलि होना पडा, अपनी इच्छा के विरुद्ध सभी काम करने पडे. द्रौपदी को उसके सांवले रंग के कारण कृष्णा की संज्ञा दी गई. वह कृष्ण से प्रेम करती है और उससे विवाह करना चाहती है. परंतु धर्म का वास्ता दे कर कृष्ण उसे अर्जुन से विवाह करने को कहते हैं. विधि के वशात उसे अर्जुन सहित अन्य चारो भाइयों से भी विवाह करना पडता है जो उसे जीवन भर सालता है. धर्म के नाम पर अपने साथ हो रहे विविध व्यवहार से व्यथित वह नाना प्रश्न कृष्ण के सम्मुख रखती है. अंतिम प्रयाण पर कृष्णा अपने पतियों के साथ है. जिन पतियों के लिए उसने जीवन भर तरह तरह के दुख झेले, वे ही उस पर विभिन्न आरोप लगाकर उसे वहीं छोड आगे निकल जाते हैं.
एकपात्रीय नाटक की प्रस्तुति अत्यंत चुनौती और जोखिम से भरी होती है. पूरे समय पर मंच पर अकेले स्वयं को प्रस्तुत करना और नाटक में आए सभी चरित्रों को उसके स्वरूप, स्वर व प्रस्तुति से साकार करना और इससे भी बढकर दर्शकों को पूरे समय बांधे रखना बहुत कठिन होता है. विभा ने इस कठिनतम चुनौती को स्वीकार किया और द्रौपदी के मूल चरित्र के अतिरिक्त आए अन्य स्त्री पात्रों सहित पुरुष पात्रों, यथा द्रुपद, युधिष्ठिर, अर्जुन और कृष्ण के रूप को अपने अभिनय, भाव भंगिमा, मुद्राओं तथा स्वर के साथ साकार किया. सम्वाद अदायगी में विभा ने अपना लोहा मनवा लिया. कमर्शियल नाटकों के बोझ से कराहती मुंबई में इस तरह के नाटक तपती रेत पर पानी की धार हैं.
नरेंद्र रावल की प्रकाश व्यवस्था मंच, नाटक और कृष्णा के विभिन्न मूड्स को दर्शाने में सफल रहा. क्रोध, प्रेम, घृणा, भय, वीभत्सता के सभी भाव के साथ प्रकाश संयोजन नाटक को प्रभावी बनाता रहा. संगीत के रूप में मुख्यत: बांसुरी का प्रयोग किया गया व सहायक के रूप में वीणा और ढोल का, जो कृष्णा के मूड्स को उजागर करने में सफल हुए.
हिंदी और मैथिली की लेखक व नाट्यकार विभा विगत 24 सालों से थिएटर से जुडी हुई हैं. ‘दुलारीबाई,’, ‘सावधान पुरुरवा’, ‘पोस्टर’, ‘मि. जिन्ना’ उनके अभिनीत कुछ नाटक हैं. ‘मि. जिन्ना’ में वे सचमुच जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना का अहसास दिलाती हैं. एकपात्रीय नाटकों के लेखन व अभिनय में विभा ने अपनी क्षमता दर्शाई है. उनके अन्य लिखित व अभिनीत एकपात्रीय नाटक हैं- “लाइफ इज नॉट ए ड्रीम”, ’बालचंदा’, ‘बिम्ब-प्रतिबिम्ब’ और अब “मैं कृष्णा कृष्ण की”. “रंग जीवन” के दर्शन के साथ विभा ने थिएटर को वंचित तबके के बीच अभिव्यक्ति के माध्यम के साथ साथ कॉर्पोरेट प्रशिक्षण से जोडा है. थिएटर के माध्यम से वे जेल बंदियों के साथ थिएटर कार्यशालाएं नियमित रूप से करती हैं. मिथिला के लोक गीतों व लोक कथाओं पर उनके नाटक हैं.
“मैं कृष्णा कृष्ण की” नाटक का निर्देशन किया है बॉम्बे कण्णन ने. तमिल थिएटर व टीवी से पिछले 30 से भी अधिक सालों से जुडे बॉम्बे कण्णन का यह पहला हिंदी नाटक है. बॉम्बे कण्णन का हिंदी और विभा का तमिल न जानते हुए भी थिएटर की भाषा पर विश्वास ने चेन्नै, तमिलनाडु की धरती से इस अद्भुत प्रस्तुति को जन्म दिया. कहा जा सकता है कि यह उनका और विभा का उत्तर और दक्षिण के रंगमंच को संगमित करने का प्रयास है. तमिल क्लासिक साहित्य व तमिल लोक कथा व लोक कला को समर्पित बॉम्बे कण्णन तमिल क्लासिक साहित्य को ऑडियो विजुअल के माध्यम से लोगों के समक्ष ला रहे हैं.
प्रस्तुति: नरेंद्र
7 comments:
प्रणाम आपको ।
वाह जी बल्ले बल्ले. बधाई.
धन्यवाद मिथिलेश और काजल
जानकर बहुत अच्छा लगा विभा जी, और न देख पाने से बुरा लगा.
यदि इस प्रस्तुति का वीडियो इंटरनेट पर अपलोड कर दिया जाता तो क्या और अधिक अच्छा नहीं होता?
नमस्कार !
विभा रानी जी को बहुत बहुत बधाई '' मैं कृष्णा कृष्ण कि '' कि रचना और अभिनय के लिए ! मैं अभी एक ड्रामा व्रिटर हूँ और एकल पात्रीय नातल पढना चाहता हूँ क्या . प्राप्त हो सकता है . ?
निर्देशक मोहदय भी बधाई के पत्र है जो मात्र कथा को समझ अपना पहला हिंदी में नाटक निर्देशित किया , बधाई !
लल्लू जी, वीडियो बन नहीं पाया. अगले शो में शायद बन पाए. सुनील जी, मेल आई डी भेज दें. क्या ही अच्छा हो कि इसके कुछेक शो अपने शहर में करवा लें. नाटक का आनंद उसे देखने में है, आप स्वयं समझ सकते हैं.
VIBHA MEM !
NAMASKAAR !
MERA MAIL ID HAI '' sgajjani@gmail.com ' aap ke prattutar ki pratikha hai .
saadar
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