ग्रहण दान, कन्यादान, रक्तदान, यह दान, वह दान. हम भारतीय हर तरह के दान में विशवास करते हैं. रक्त दान मानवता की दिशा में एक सार्थक कदम है. १८ साल की उम्र पूरी होने पर आप भी रक्तदान कर सकते हैं.
लगभग सभी अस्पताल्पों में रक्तदान के बारे में अपील मिल जाएगी, अलग अलग भाषा में. मगर मुम्बई के जसलोक अस्पताल के रक्तदान की एक अपील तो मारक है, आप हंसें, आप बिदकें, आप मज़े लें, आप भाषा पर तरस खाएं, मगर यह है तो है. अस्पताल का नाम आप इस अपील में पढ़ सकते हैं. छम्मक्छल्लो को तो पढ़ कर मज़ा आ गया था. आप भी मजे लें, कुछ सुझाना हो तो सुझाएँ.
3 comments:
इस पोस्टर को किसी पढ़े-लिखे गंवार ने ही बनाया होगा...शायद..
या फिर कहीं ये उत्तर भारतीयों के लिए चेतावनी तो नहीं?...
होने को तो कुछ भी हो सकता है...
अभी हाल-फिलहाल ही ईमेल के जरिये किसी इंस्टीट्यूट का एक चित्र प्राप्त हुआ जिसमें लिखा था...
"यहाँ इंग्लिश स्पीकना सिखाया जाता है" :-)
लगता है ये पोस्टर बनाने वाला बाबा तुलसी दास से प्रेरित था जिन्होनें सदियों पहले ही स्पष्ट किया था कि " भय बिनु होए न प्रीति " !
वैसे अच्छी बात ये है कि धमकियाने वाले इस अंदाज़ में खून माँगने के बाद आज़ादी देने का आश्वासन नहीं दिया गया .
raajeev jee, ye hee sab to maze hain. Pratima, Tulasidas ki yaad khoob dilaaee tumane.
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