कोई पेड तो कोई नदी,
कोई लडकी तो कोई बच्चा.
नहीं है किसी का ध्यान, छीजती इंसानियत पर.
कोई आओ, बचाओ उसे.
वह बच गई तो सब बच जाएंगे,
पेड, पहाड,धरती, स्त्री, बच्चे, खेत- सबकुछ.
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कैंसर (1)
सिगरेट का धुआं
धुएं में भविष्य
भविष्य में वर्तमान,
वर्तमान में अतीत
सिगरेट का धुआं
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कैंसर (2)
एक निरंतर् पीडा
आस की धुंआती गन्ध
दवाओं के काले मेघ
इलाज की गूंज
लुका छिपी,लुका छिपी
कैंसर ,कैंसर ! ###
ताकत
हम समझदार हैं,
वर्तमान हमसे कांपता है,
भविष्य हम पर इतराता है,
अतीत मुंह चुराता है,
वक्त के जबडे में हम
हमारी हथेली में सिगरेट, धुंआ, शराब,
तम्बाकू, गुटखा और अपने होने का ताकतमय एहसास,
अदम्य है आकर्षण
नीति सोभती हैं किताबों में
हम हैं अविरल,अविकल,अविचल!
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पापा,छोड दो शराब हमारे लिए,
पापा,छोड दो गुटखा हमारे लिए,
पापा,छोड दो तम्बाकू हमारे लिए,
पापा,मत करो फिक्स्ड डिपॉजिट हमारे लिए,
पापा,मत बनाओ घर हमारे लिए
पापा,मत खरीदो गाडी हमारे लिए
पापा, बस तुम रहो हमारे सामने घने छतनार पेड की तरह
पापा, बस, इतना ही करो हमारे लिए!
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3 comments:
छम्मकछल्लो, छमिया को काहे नचवत हो! शोले तो रामगोपाल वर्मा की आग से भी नहीं न उठे तो फिर आप काहे ठाकुर के हाथ लेने पर आमादा हैं!
मद्रास कैसा लग रहा है, चेन्नई जैसा या चेन्नै जैसा?
twitter.com/hindiwale
पापा,छोड दो शराब हमारे लिए,
पापा,छोड दो गुटखा हमारे लिए,
पापा,छोड दो तम्बाकू हमारे लिए ..
sach bahut sach !adbhut !
शुक्रिया इंतिहा. एनॉनीमस जी, सही जगह पर टिपियाइये ना.
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