एक पाठक ने हमें यह सुझाव दिया है कि किताब व प्रकाशक का नाम-पाता दे दिया जाए, ताकि पाठअक इस किताब को स्म्गार्हित कराने में मदद मिल सके। उनकी राय का सम्मान करते हुए अबसे राजेन्द्र बाबू के प्रसंग लिखते समय किता के साथ- साथ प्रकाशक का भी नाम-पाता दिया जाएगा। )
(आन्दोलन में अपनी पढाई छोड़कर आनेवालों के लिए देश में जगह-जगह पर राष्ट्रीय विद्यापीठ व विद्यालय स्थापित किए गए थे- १९२९ में। बिहार विद्यापीठ के प्रथम प्राचार्य डॉ राजेन्द्र प्रसाद थे। वे स्वय वहा छात्रों को पढाया भी करते, जो कालांतर में अत्यधिक व्यस्तता के कारण छूटता चला गया। वहाँ छात्र रोजाना कुछ सामूहिक व्यायाम किया करते। वहाँ पर मुग्दारों की तीन जोदियाँ थी, जिनमें एक बहुत वज़नी, एक हलके वजन औए एक मध्यम वज़न की थी।
एक बार राजेन्द्र बाबू बिहार विद्यापीठ में ठहरे हुए थे। मुगदर फेरने के तरीके को देख कर वे बोले- "तुमलोगों के मुगदर फेरने का तरिक्का ग़लत है। तुमलोग बहुत फुर्ती से बिना हाथ रोके मुगदर फेरते जाते हो। देखने में यह बहुत सुंदर तथा प्रभावकारी लगता है। किंतु, इसमें तुम्हारे हाथों व कन्धों पर बहुत अधिक वजन पङता है। तेजी से चलाने से मुगदर आप ही चलने लगते हैं और भुजाओं व मांसपेशियों का विकास नहीं हो पाता, क्योंकि उन्हें बहुत कम बल लगाना पङता है। सही तरीका यह है कि धीरे-धीरे मुगदर फेरो, जिसमें हर पल उन्हें फेरने में बल लगाते ही जाना पड़े और जब तुम्हारे हाथ ऊंचे से झुककर कन्धों तक जाएं, टैब उन्हें धरती के समानांतर ला कर सीधे रखो और पल भर के लिए मुगदर को वेग से रोक लो। रोकने में तुम्हें बल लगाना होगा। फ़िर वैसे ही नीचे से उठाते समय फेरो तो फ़िर रोकने व दोबारा उठाने में भी अधिक बल लगाना पड़ेगा।" फ़िर सबसे हलकी जोडी लेकर उनहोंने मुगदर फेरने के कई नए-नए हाथ भी दिखाए व बताये। राजेन्द्र बाबू के पिटा बहुत ही अच्छे कसरती जवान थे और बहुत ही बलवान थे। उन्होंने राजेन्द्र बाबू और उनके बारे भाई महेन्द्र बाबू उनके बचपन में बहुत सी देसी कसरतें अखाडे भेजकर सिखाई थी, जिनमें से मुगदर फेरना भी थी।
-साभार- पुन्य स्मरण
विद्यावती फौन्देशन
२७४, पाटलिपुत्र कोलोनी
पटना- ८०००१३, फोन- ०६१२-२६२६१८/224559
3 comments:
आभार पुन्य स्मरण के इस हिस्से को प्रस्तुत करने के लिए.
mera naam Harsha hai, maine jitna Rajen Babu ke baare mein jaana hai aap buzurgon se hi jaana hai. Kripayaa unke baare mein aur awgat karaayein.
aap log devnaagari mein kaise apne comments maar dete hain? main to lagta hai frustrate ho ke mar jaaoonga!
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