आज करवा चौथ का व्रत है। हर वार मुझे इस दिन यशपाल की कहानी 'करवा का व्रत" याद आती है। वह कहानी तो नहीं, हाँ,पति पत्नी के जोक्स का उलटा पुलटा रूप छम्मकछल्लो दे रही है। हर बार की तरह, सम्मान लेने के लिए सम्मान दें। शेयर करें। विचार दें।
एक महिला अपनी सहेली से
कल दिन भर नेट ही नहीं चला
सहेली : ओह !! फिर तूने क्या किया
कुछ नहीं क्या करती दिन भर पति से बातें कर के निकाला ।
"अच्छा आदमी लगा रे स्वाभाव से" ###
अब इसका दूसरा रूप-
एक पुरुष अपने दोस्त से-
कल दिन भर नेट ही नहीं चला
दोस्त : ओह !! फिर तूने क्या किया
कुछ नहीं क्या करता! दिन भर पत्नी से बातें कर के निकाला ।
"अच्छा आदमी लगी रे स्वभाव से"##
स्वभाव की इस मिठास को पकड़िये और पति पत्नी के जोक्स से मुक्ति पाइए।
एक महिला अपनी सहेली से
कल दिन भर नेट ही नहीं चला
सहेली : ओह !! फिर तूने क्या किया
कुछ नहीं क्या करती दिन भर पति से बातें कर के निकाला ।
"अच्छा आदमी लगा रे स्वाभाव से" ###
अब इसका दूसरा रूप-
एक पुरुष अपने दोस्त से-
कल दिन भर नेट ही नहीं चला
दोस्त : ओह !! फिर तूने क्या किया
कुछ नहीं क्या करता! दिन भर पत्नी से बातें कर के निकाला ।
"अच्छा आदमी लगी रे स्वभाव से"##
स्वभाव की इस मिठास को पकड़िये और पति पत्नी के जोक्स से मुक्ति पाइए।