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Saturday, April 25, 2020

पान खाए सैयां हमार....

हंसी-हंसी पनवाँ, खियौले बेइमनवा ......
हाहाहा! बताइये तो, कौन कौन पान खाने के शौकीन हैं या पान खाने के अभ्यस्त हैं? या आपके घर के सदस्य पान खाते हैं? थोड़ा फनी सवाल है, मगर है बहुत मजेदार। बचपन में हमलोगों के लिए आधे पत्ते का छोटा पान बनाता था। हमारे मोहल्ले में दो पानवाले थे- दो ध्रुव वाले। कपिलेश्वर चाचा मनुष्य के रूप में भगवान और जमुना एकदम शैतान! जाने कितनी लड़कियों के पास होंगे उसकी बदनीयती और ईव टीजिंग के किस्से।
कभी-कभी पान की वजह बहुत दुखदाई भी हो जाती है। डॉक्टर्स के अनुसार, अधिक पान-तंबाकू का सेवन कैंसर की संभावना को बढ़ाता है। फिर भी, भारतीय परिदृश्य में पान के संदर्भ और इसके महत्व को नकारा नहीं जा सकता, इतना तक कि हम स्वच्छ भारत अभियान में अपने सभी धर्म के भगवानों को काम पर लगा देते हैं कि वे म्यूरल बने रहें और टाइल्स बनाकर हर संभावनावान जगहों पर चिपकाकर खड़े हो जाएँ ताकि लोग उन्हें प्रणाम करके अपने मुंह की लाली वहाँ न्बरसाएँ और स्वच्छ भारत अति स्वच्छ बना रहे।
मिथिला में तो पान सेवन की पुरानी संस्कृति है। छठी से लेकर पूजा-पाठ या कोई भी शुभ काम पान के बिना सम्पन्न नहीं होता, यहाँ तक कि श्राद्ध कर्म में भी इसकी जरूरत पड़ती है। तो, जन्म से मरण तक पान हमारे साथ चलता है।
पान खाने के किस्से, गीत, रस्में, यादें सभी होंगे न आपके पास। तो साझा कीजिये न बोले विभा के इस एपिसोड को देखते- सुनते हुए। आपकी टिप्पणियों की बाट जोहेंगे हम अपने यूट्यूब चैनल पर !
https://www.youtube.com/watch?v=jWMn_LEEd24
#BoleVibha #Paan #Youtube #YoutubeChannel

3 comments:

संगीता पुरी said...

एक झाजी की बिटिया की शादी में गए हुए थे। हमारे दोनों बच्चे छोटे थे। १०-१२ बच्चे जमा खेल रहे थे और हमलोग बातचीत में व्यस्त थे। उस वक्त स्टार्टर तो होता नहीं था, नाश्ते के साथ चाय और पान की व्यवस्था थी। खाना शुरू हुआ तो हम महिलाओं ने बच्चों को खाने के लिए बुलाया। बच्चे बड़ी मासूमियत से बोले, भूख ही नहीं है, पान से पेट भर गया। बच्चों ने खेलते हुए घूम घूमकर खूब मीठा पान खाया था। किसी बड़े ने देखा हो तो शायद मना भी नहीं किया। मुझे अभी भी बच्चों का उस वक्त का चेहरा याद आ जाता है, हंसी भी आती है।

Vibha Rani said...

कितनी सुंदर याद। इसे हमारे यूट्यूब पर भी पोस्ट कर दीजिये न।

राजीव तनेजा said...

फ्रोज़न पान कभी कभी खा लेते हैं हम लोग। अब तो पान की भी बहुत वैरायटी आ गयी हैं यहाँ दिल्ली में।