chhammakchhallokahis

रफ़्तार

Total Pageviews

छम्मकछल्लो की दुनिया में आप भी आइए.

Pages

www.hamarivani.com
|
Showing posts with label Mithila. Show all posts
Showing posts with label Mithila. Show all posts

Wednesday, April 29, 2020

फूड कल्चर विथ वडी- पापड़!

आम तौर पर जब हम किसी से मिलते हैं तो एक दो मुलाक़ात के बाद सबसे पहले यही पूछते हैं कि हो गया खाना-पीना? यहाँ तक कि दफ्तर में भी। खासकर लंच टाइम पर या उसके तुरंत बाद।
शादी-ब्याह और अन्य आयोजनों में भी हम यह देखते सुनते पाए जाते हैं कि कैसा था खाना-पीना?
भावी दुल्हन से तो सबसे पहले यह पूछा जाता आता कि क्या-क्या जानती है वह बनाना?
यानी, हम सब खाते-पीते तो हैं, लेकिन शायद ही कभी इस बात पर ज़ोर देते हैं कि हमारा फूड कल्चर यानी खान-पान की संस्कृति क्या है!
तो आइये, बात करते हैं खान-पान की संस्कृति यानी फूड कल्चर पर। हम तो अपनी मिथिला के वडी-पापड़, चूड़ा- तीसी के साथ आए हैं। और आप? अपनी बातें हमारे साथ हमारे चैनल के कमेन्ट बॉक्स में साझा कीजिएऔर अपने फूड कल्चर से हमें वाकिफ कराइये। लगे हाथों चैनल subscribe भी कर लीजिएगा।
https://www.youtube.com/watch?v=CZwzIjdDCbQ&t=31s

Saturday, April 25, 2020

पान खाए सैयां हमार....

हंसी-हंसी पनवाँ, खियौले बेइमनवा ......
हाहाहा! बताइये तो, कौन कौन पान खाने के शौकीन हैं या पान खाने के अभ्यस्त हैं? या आपके घर के सदस्य पान खाते हैं? थोड़ा फनी सवाल है, मगर है बहुत मजेदार। बचपन में हमलोगों के लिए आधे पत्ते का छोटा पान बनाता था। हमारे मोहल्ले में दो पानवाले थे- दो ध्रुव वाले। कपिलेश्वर चाचा मनुष्य के रूप में भगवान और जमुना एकदम शैतान! जाने कितनी लड़कियों के पास होंगे उसकी बदनीयती और ईव टीजिंग के किस्से।
कभी-कभी पान की वजह बहुत दुखदाई भी हो जाती है। डॉक्टर्स के अनुसार, अधिक पान-तंबाकू का सेवन कैंसर की संभावना को बढ़ाता है। फिर भी, भारतीय परिदृश्य में पान के संदर्भ और इसके महत्व को नकारा नहीं जा सकता, इतना तक कि हम स्वच्छ भारत अभियान में अपने सभी धर्म के भगवानों को काम पर लगा देते हैं कि वे म्यूरल बने रहें और टाइल्स बनाकर हर संभावनावान जगहों पर चिपकाकर खड़े हो जाएँ ताकि लोग उन्हें प्रणाम करके अपने मुंह की लाली वहाँ न्बरसाएँ और स्वच्छ भारत अति स्वच्छ बना रहे।
मिथिला में तो पान सेवन की पुरानी संस्कृति है। छठी से लेकर पूजा-पाठ या कोई भी शुभ काम पान के बिना सम्पन्न नहीं होता, यहाँ तक कि श्राद्ध कर्म में भी इसकी जरूरत पड़ती है। तो, जन्म से मरण तक पान हमारे साथ चलता है।
पान खाने के किस्से, गीत, रस्में, यादें सभी होंगे न आपके पास। तो साझा कीजिये न बोले विभा के इस एपिसोड को देखते- सुनते हुए। आपकी टिप्पणियों की बाट जोहेंगे हम अपने यूट्यूब चैनल पर !
https://www.youtube.com/watch?v=jWMn_LEEd24
#BoleVibha #Paan #Youtube #YoutubeChannel

Thursday, April 16, 2020

खिस्सा कहे खिसनी

"खिस्सा कहे खिसनी"- माने कथा वाचिका- The She Storyteller! 

"खिस्सा कहे खिसनी" मिथिला की एक सुदीर्घ परंपरा है। बल्कि, यह पूरे विश्व की परंपरा है- किस्सागोई। सभी के पास किस्से होते हैं। लेकिन, दादी-नानी की पोटली से निकले किस्सों का कोई जवाब नहीं। वे हमारे बचपन की स्मृतयोन की धरोहर होते हैं। इन किस्सों से हमें अपनी कल्पना लोके के विस्तार का अनुभव मिलता है। बल्कि, आप जानते ही हैं और अनुभव किया भी होगा अकि इन किस्सों को सुनते -सुनते हम सो जाया कराते थे।

इन किस्सों का असली तत्व  क्या है? कथ्य के अलावा इसके प्रस्तुतीकरण का तरीका। दादी-नानी अपनी स्वाभाविक त्वरा में इन किस्सों को सुनाती थीं। पढ़ भी सकते हैं। क्योंकि अभी भी ढेर सारे किस्से मौखिक स्तर पर ही हैं। लेकिन देखने का जो आनंद है, वह अलग ही है।

मैं मिथिला की लोक कथाएँ संग्रहित करने का काम 1995 से ही कर रही हूँ। इस क्रम में लगभग तीस कहानियों का संग्रह "मिथिला की लोक कथाएँ" शीर्षक से प्रकाशित हुई हैं। यह संग्रह अब ऑन लिने रूप में notnul.com से भी प्रकाशित है।

आज देखिये और सुनिए उसी संग्रह से एक खिस्सा- "साध रोये के"- बोले विभा-30 में। अच्छा लगे (वो तो लगेगा ही। यह मेरा आप पर सहज विश्वास है) तो लाइक, subscribe, शेयर व कमेन्ट जरूर करें।

Monday, April 13, 2020

शुभ सतुआनी

शुभ सतुआनी!

सतुआनी मिथिला में मनाया जानेवाला एक अहम पर्व है। आज मेष संक्रांति के दिन इसे मनाया जाता है। देश में दो ही त्यौहार ऐसे हैं, जिनकी अँग्रेजी कलेंडर के मुताबिक भी तारीख फिक्स रहती है- अमूमन। एक- मकर संक्रांति यानी 14 जनवरी। और दूसरा- मेष संक्रांति यानी 13 अप्रैल। कभी कभी तिथि के फेर से यह 15 जनवरी या 14 अप्रैल हो जाता है।

देश भर में आज का दिन अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। सबसे अधिक हमारी स्मृति में आता है- पंजाब का बैसाखी का त्यौहार। इसके साथ ही याद आता है इतिहास का वह काला दिन- 1919 का, जब जनरल डायर ने जालियानवाला बाग का नृशंस हत्याकांड करवाया था। उन सभी शहीदों को नमन।

ओणम भी केरल में मनाया जाता है। ओणम सद्या अगर आपने खाया हो तो जिंदगी में कभी भी उसका स्वाद नहीं भूल पाएंगे।

मिथिला में आज का दिन सतुआनी के रूप में मनाते हैं। इसका विस्तार कल यानी अगले दिन जूड़ शीतल के रूप में मनाते हैं। जूड़ शीतल की जानकारी हम आपको कल देंगे। आ जायेगा यूट्यूब live पर दोपहर 12.30 बजे। हम इंतज़ार करेंगे।

चूंकि, भारत कृषि प्रधान देश है, इसलिए इसके सारे पर्व त्यौहार अमूमन फसल आधारित होते हैं। सतुआनी भी फसल आधारित पर्व है। कैसे हम इसे मनाते हैं, यहाँ इस वीडियो में देखें- #बोलेविभा के तहत। बताइएगा, कैसा लगा? चाहें तो अपने कमेंट्स यूट्यूब पर भी दे दीजिएगा तो हम आपके आभारी होंगे। subscribe कर लेंगे तो "हमर मोन गेंदा- गुलाब भ' जायत।! :) 

तो, खाइये, खिलाइए। आनंद उठाइये।