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Tuesday, May 5, 2020

बॉबी का कर्ज़- ॐ शांति, ॐ....

बॉबी वाला सबका चिंटू.....!
एक नोस्टालजिया था बॉबी फिल्म देखना। फिल्मों को लेकर यह दीवानगी आज दूसरे रूपों में हो सकती है, क्योंकि आज फिल्में देखने के बहुत से संसाधन हैं, साथ ही, मनोरंजन के भी ढेर सारे तकनीकी उपाय, जिनमें सोशल मीडिया प्रमुख है। लेकिन, तब हमारे पास केवल फिल्में ही रहती थीं, किताबों के अलावा।
ऋषि कपूर को हमने श्रीमान 420 और मेरा नाम जोकर में बाल कलाकार के रूप के बाद एक टीन मासूम रूप में देखा था बॉबी में। उसके बाद बहुत तो नहीं, लेकिन कुछ फिल्में देखीं, जिनमें कभी-कभी, और एक चादर मैली सी प्रमुख रही और धमाकेदार रही कर्ज़! लगभग दस मिनट का अगाना- मेरे उम्र के नौजवानों....! ओह! मेरे धड़कन अभी भी यह तेज आर देता है। ....आओके अनुभव! साझा कीजिये न! लेकिन, उसके पहले इसे जरूर देख लें #बोलेविभा49 में

क्यों पढ़ें हम सब सुतपा का खत!

सुतपा को जैसे-जैसे जान रही हूँवैसे-वैसे उनके लिए मेरे मन में प्रेम से ज्यादा श्रद्धा और विश्वास बढ़ रहा है। उनकी मजबूती मुझे हिम्मत दे रही है। उनके विचारों को पढ़ने के लिए मैं उनके पोस्ट पढ़ती रहती थी। अब भी पढ़ रही हूँ। 30 अप्रैल की ही उनकी पोस्ट है, अपनी प्रोफ़ाइल पिक को बदलते हुए, जिसमें उन्होने लिखा है- I have not lost I have gained in every which way....

सुतपा ने 1 मई को, जब सारी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मना रही थी, महाराष्ट्र भी महाराष्ट्र दिवस मना रहा था, यह फौलादी महिला अपने मन के लोहे को शब्दों की धार दे रही थी, हम सबको ताकत से लबरेज कर रही थी। उनका यह लिखना खासकर हर महिला, हर स्त्री के लिए शक्ति की आवाज है कि संकट के गाढ़े पलों में भी कैसे अपने आपको पानी की तरह तरल सरल और सहज, जो इरफान की बात है, बनाकर रख सकती है। 
हमने कई जगह पढ़ा कि आप इस खत को पढ़कर रो पड़ेंगे। जी हाँ, मन भीगता है। ज़रूर भीगता है। लेकिन, मैं इसे कहना चाहूंगी कि आपको इसे पढ़कर ताकत और हिम्मत मिलेगी। गाढ़े वक्त एन जन हिम्मत का पहाड़ दरकने लगता है, सुतपा का खत पढ़िएगा। आज ही नहीं, हर समय, जब जब हिम्मत जवाब देने लग जाए। हिम्मत के लिए पढ़िएगा। ताकत के लिए पढ़िएगा।
आप सबने अलग-अलग प्लेटफॉर्मों पर उनके दिल की यह बात सुनी होगी, देखी होगी। मैं इसे थोड़ी देर से आपके पास लेकर आ रही हूँ, क्योंकि मैं इसे अपने हृदय में पहले जज़्ब कर लेना चाह रही थी।

आइये, सुनते हैं, उनके मन के उद्गार। पहले मूल अँग्रेजी में, फिर उसके बाद हिन्दी में।  
https://www.youtube.com/watch?v=sJRmtwht7fE&t=16s

Friday, May 1, 2020

सुतपा -इरफान का संग-साथ

आपने बहुत सारे वीडियो संवाद देखे होंगे। आज यह भी देखिये। संबंध कैसे आपसी समझदारी से सरल, सहज और जीवंत हो जाते हैं।
सुतपा सिकदार और इरफान का यह इंटरव्यू 30 दिसंबर, 2010 को वरिष्ठ पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज ने लिया था और अपने ब्लॉग chavannichap.blogspot.com पर डाला था। मैं उसे आपके लिए विजुअल माध्यम में लेकर आ गई हूँ। विजुअल माध्यम का अपना एक असर होता है। यह शब्दों को आँखें दे देता है।
मैं कोई दावा नही कर रही कि मैंने कोई बड़ा अच्छा काम कर दिया है। उद्देश्य भी नहीं है। चाहती सिर्फ इतना थी कि एक सरल, सहज, सफल जोड़े को आप देखें। जिसतरह इरफान ने कहा कि "पोजिटिविटी का कोई ऑप्शन नहीं होता, उसी तरह से इन दोनों का जीवन है जो हमें बहुत से तरल और कोमल तन्तु दे रहा है।
बोले विभा 45 की यह कड़ी आज आपके लिए है। मैंने जब इसे पढ़ा तो यह बहुत गहरा असर कर गया दिलो दिमाग पर। आज का यह वीडियो फिर से आपके लिए। अपनी राय यहाँ तो दें ही। यूट्यूब लिंक पर भी देंगे तो आपकी बात और भी लोगों तक पहुंचेगी। लिंक यहां है, देखें ज़रूर..

Thursday, April 30, 2020

सुतपा के इरफान

कैंसर से हुई मौत मुझे विचलित करती है, क्योंकि सभी की आँखें जैसे मुझसे कहती हैं- बहुत लिखती हो न सेलेब्रैटिंग कैंसर! देखो! मैं कहता/कहती हूँ न कि कैंसर खा जाता है सभी को। खुद की हजान बच गई है न, इसलिए।
मैं विचलित हो जाती हूँ। अपने को सकारात्मक बनाए रखने के सारे प्रयास व्यर्थ होने लगते हैं। सचमुच ऐसा ही है क्या?
लेकिन मन तुरंत कहता है- ऐसा नहीं है। सही है कि लाखों लोग गए हैं कैंसर से। लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सच है कि करोड़ों लोग कैंसर से निकलकर अपने जीवन को जी रहे हैं और लोगों के बीच अलग-अलग तरह से सकारात्मकता के संदेश पहुंचा रहे हैं।
लेकिन, जीवन का एक परम और चरम सती है-
"मौत से किसकी यारी है, आज उसकी, कल मेरी बारी है।"
कह सकते हैं, कि मौत का एक दिन तय है। उस दिन वह किसी न किसी बहाने हमारे पास आ ही जाती है। लेकिन, कैंसर अंत अंत तक कैंसर फाइटरों को जीवन की जिजीविषा देता रहता है। कभी कोई इससे निराश होकर मरने की बात नहीं करता। यहीं पर कैंसर हमसे हार जाता है। वह व्यक्ति को तो ले जाता है, लेकिन उसकी अदम्य जिजीविषा हमारे लिए संदेश के रूप में छोड़ जाता है। इसलिए मन कभी भी यह कहने को नहीं करता कि "वह कैंसर से हार गया।" या "कैंसर ने उसे पराजित कर दिया।"
जैसे अन्य किसी भी कारण से लोग हमसे बिछुयड़ते हैं, कैंसर से भी बिछुड़ते हैं। मौत तभी है, जबतक जीवन है। जीवन शाश्वत है, मौत की तरह। लेकिन, जीवन से बढ़कर नहीं।
देश और दुनिया ने एक कलाकार खोया है। सुतपा ने अपने मन का साथी। और, मैंने एक और कैंसर योद्धा, जो जीवन का फलसफा दे गया है हम सबके लिए - "आपके पास सकारात्मक होने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं है।"
हाँ इरफान! आपने सही कहा आहै कि "सकारात्मक होने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं है।" इसलिए, मैं सकारात्मक हूँ और रहूँगी। आपके कहे अनुसार सभी को इस सकारात्मकता के संदेश देती रहूँगी।
#बोलेविभा44 में आज सुतपा के इरफान के साथ।
https://www.youtube.com/watch?v=S5xUSVyyfyo