अब "आप रूपी भोजन और आप रूपी सिंगार" ! यही है राइट चॉयस बेब!
हर परिधान, गेट अप, मेक अप से लुक बदलता है। खुद को अच्छा लगना चाहिए। मुझे अपने लुक में चेंज करते रहना बहुत अच्छा लगता है, चाहे वह मेकअप से हो या परिधान से।
पहले स्त्रियों के लिए कहा जाता था, "आप रूपी भोजन, पर रूपी सिंगार"! मतलब भोजन आप अपनी रुचि का करें और श्रृंगार दूसरों की रुचि का।सबसे पहली बात तो यह थी कि तब के जमाने में स्त्रियों को कभी भी अपनी रुचि का भोजन नहीं मिलता था। सामान्य मान्यता थी कि पहले घर के पुरुष खाएंगे, फिर बड़ी स्त्रियां, जैसे सास, जेठानियां आदि। फिर अगर बच गया तो बहुओं को मिला। कभी भात पर दाल नहीं तो कभी सब्जी नहीं। उदार घरवाले कहते थे कि खत्म हो हो गया तो बना लो अपने लिए। लेकिन खाना खिलाते हुए दुपहर बीतने को आ जाती थी। भूख से आंतें मरोड़ उठती थी। किसमें इतनी हिम्मत और उत्साह कि खुद के लिए बनाएं! तो भात के साथ नमक, तेल, प्याज, मिर्च, अचार आदि बहनापा निभाते।
उसी तरह पर रूपी सिंगार के साथ है। जाहिर है, पति और उसके बाद घर परिवार की तथाकथित मान्यता के बाद स्त्रियों के लिए अपनी पसंद के पहनावे का सवाल ही कहां रह जाता था! मेरे मुहल्ले की एक भाभी को बड़ी बिंदी लगाना पसंद था लेकिन उनके पति को छोटी बिंदी। मैंने कभी उनके ललाट पर बड़ी बिंदी नहीं देखी। सोचिए, देह आपकी, भोजन और पहरावा तक उनका।
इसलिए, अपनी रुचि से अपना खान पान, कपड़े, जूते, मेकअप तय कीजिए। हर पल रिफ्रेश होते रहिए। किसी दिन डांगड़ बनकर भी रहे तो भी क्या! अपनी पसंद का है यह लद्धड़पन!
इसलिए अब "आप रूपी भोजन और आप रूपी सिंगार" ! यही है राइट चॉयस बेब!
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1 comment:
सटीक | विथ राईट चोईस बेब | शुभकामनाएं | :)
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