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Monday, May 16, 2011

तस्वीर की देवी की लाज बचाओ, घर की देवी की- चिथडे कर आओ!!


     वाह, वाह, वाह!!! समझ में आ गया भारतीयों की ताक़त का. इस धरती पर हैं कोई फैशन डिजाइनर लीसा ब्ल्यू. बना दी उन्होंने स्विम सूट, लगा दी उसके साथ देवी लक्ष्मी की तस्वीर. बस जी, फिर क्या है! पता चला कि पूरे विश्व में जो 135 करोड भारतीय हैं, उन सभी का खून गया खौल गया. छम्मकछल्लो का खून अभी भी ठंढा पडा है. पता नहीं, अब उसे 135 भारतीयों मे गिना जाएगा कि नहीं. फेसबुक आंदोलन का बहुत बडा केंद्र है, इसी से पता चला. अब जंतर-मंतर जाने की जरूरत नहीं. यहीं से अभियान चलाइये, जीत जाइये. फिर विजय के लम्बे चौडे कशीदे काढिए, खुद से ही खुद की पीठ ठोकिए. जैसे कि एक भाई ने किया.
      धर्म से आजकल सभी को बहुत डर लगता है. पहले धर्म मन का डर मिटाता था, अब बढाता है. बडे बडी से बडी हस्ती धर्म से डर कर तथाकथित भगवान की मौत पर आंसू बहाती हैं तो यह अदना सी लीसा क्या चीज है? उसने माफी भी मांग ली, तस्वीर भी हटा ली. फेसबुकिया भाई का सीना गर्व से विश्व के नक्शे जितना चौडा हो गया. उनकी रण दुंदुभी बज उठी- दिखा दो गोरों को कि हम भारतवासी ऐसे हैं कि अगर कोई हमसे मांगेगा तो बेटे दे देंगे, मगर कोई गद्दारी करेगा तो हम उसका बाप भी छीन लेंगे.” बेटे ही देने की बात क्यों भाई! बेटी देने की क्यों नहीं?? छम्मकछल्लो के इस सवाल का संकट समझें भाई!! बेटी घर की इज्जत है. कैसे दी जा सकती है? बेटे तो इज्जत ले आते हैं न दूसरों की!   
      छम्मकछल्लो को एक नारा याद आया- शायद कुछ इस तरह है- खीर मांगोगे, खीर देंगे, कश्मीर मांगोगे, चीर देंगे.” फेसबुकिया भाई ने किसी की टिप्पणी भी अपने समर्थन में लगा डाली- हमारे देश मे इन देवियों को माता कहते हैं, बेटियाँ कहते हैं, बहुए कहते हैं, बहने कहते हैं. आप बताइए भला हम हमारी माँ बहनों के अपमान पर कैसे चुप रह जाएँ. पत्थर की मूरत और कागज पर छपी तस्वीर को हम छोड़ दे, लेकिन भला अपने परिवार की इन शक्तियों का अपमान कैसे होने दे जो हमारी ताकत है, हमारा सम्मान है, हमारा स्वाभिमान है, हमारी जान है, हमारी जननी है, हमारी पालन करनी है,
      छम्मकछल्लो का दिल बाग-बाग हो गया. कोई तो मिला जो घर की मां, बहनों, बेटियों के स्वाभिमान की बात कर रहा है. सो, वह भी लपक कर इस ललकार में शामिल हो गई. वह भी ललकार कर कह रही है- तस्वीर की और धर्म की देवी, जिसे ना कभी देखा, ना सुना, उस पर विजय का गुनगान करनेवाले ऐ सभी भारतीयो! खडे हो जाओ एकजुट हो कर भ्रष्टाचार के खिलाफ. है इतनी हिम्मत तो काट आओ उनके गले, जो जाति और धर्म के नाम पर अपने ही भारत की महिलाओं का नंगा जुलूस निकालते हैं. दफन कर दो उनको, जो अपने ही भारत की मासूम बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं. जिंदा गाड आओ उन मां-बाप को, जो अपने ही बालिग बच्चों को अपनी पसंद से शादी करने के लिए उनकी जान ले लेते हैं. आंखें फोड दो उनकी, जो तुम्हारी बहू बेटियों पर कुदीठ लगाते हैं. काट डालो जीभ उनकी, जो तुम्हारी बहू बेटियों को देख कर लार चुलाने लगते हैं. खपच डालो उनका वह अंग, जो तुम्हारी बहू बेटियों को देखते ही खुजली से भर जाता है.  तस्वीर की देवियों को माता, बहनें, बेटियां कहते हैं तो तस्वीर से इतर इस देश की जीवित देवियों को भी माताएं, बहनें, बेटियां कहते होंगे. तो, अपने ही प्यारे भारत की जीवित देवियों की जान और लाज बचाओ, हे महा वीरो! देश की देवियों के साथ सारे अत्याचार अपने ही महान भारतवासी कर रहे हैं, कोई लीसा ब्ल्यू नहीं. तस्वीर की देवी की लाज बचाकर भारतीयता का दम्भ भरनेवाले, भारतीयता को सही भारतीयता से जोडो और अपनी नपुंसक विजय की दुंदुभी पीटने से बाज आओ. 

4 comments:

राहुल कुमार said...

शानदार!! :-)

रवि कुमार said...

इन्हीं तेवरों की जरूरत है..

Vibha Rani said...

धन्यवाद आप सबका.

Patali-The-Village said...

इन्हीं तेवरों की जरूरत है|धन्यवाद|