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Saturday, April 11, 2020

कोरोना में थोड़ा फिल्मी रहो ना!

सिनेमा के गीत बनते हैं उस फिल्म के सिचुएशन के हिसाब से। लेकिन समय, काल, पात्र, परिस्थिति के अनुसार ये गीत लोगों द्वारा ढाल लिए जाते हैं। ये सब खुद को और माहौल को हल्का करने के लिए किए जाते है। लेकिन, इस रूप में इन गीतों की महता और भी बढ़ जाती है, क्योंकि ये गीत समसामयिक बन जाते हैं ।

अब यहीं देखिये न! कैसे फिट बैठ गए सिनेमा के ये कुछ गीत आज की कोरोना महामारी की संकटमय परिस्थिति में। थोड़ा आप भी देखिये तो। फिट बैठा है कि नहीं कोरोना हालात में।

लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि क्यों मैंने शुरू किया है बोले विभा कार्यक्रम?
मैंने कहा- बोलने के लिए।
क्या बोलने के लिए?

सीरियसली कहूँ तो अभी तक इस बोले विभा को शुरू करने का एक ही ख्याल मेरे मन में आया कि अभी कोरोना महामारी के कारण हुए लॉक डाउन, देश में मची अफरा तफरी और ऐसे विषम हालात से निपटने के लिए सभी अपने-अपने स्तर से कुछ न कुछ कर रहे हैं। मैं क्या कर सकती हूँ?

मेरे बस में यही है कि मैं अपनी क्रिएटिविटी के साथ आपके पास आऊँ। आपके बोझल समय को थोड़ा खुशनुमा बनाऊँ। आपके उदास लम्हों में स्मित की एक महीन रेख ही सही, दे सकूँ। इसलिए इसके बहुत हल्के-फुल्के विषय रखती हूँ। हल्के- फुल्के, बातचीत के अंदाज़ में सरल शब्दों और स्वरूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करती हूँ।


अपनी टिप्पणी यूट्यूब पर ज़रूर दीजिएगा। और अभी तक चैनल सब्सक्राइब नहीं किया है तो वो भी कर लीजिए। ठीक है!😊

https://www.youtube.com/watch?v=EpnR9REx3LE&feature=youtu.be

6 comments:

  1. अहा दीदी आपकी नई नई क्रिएटिविटी तो हमें ख़ूब भाती है । ट्यूब पर भी पहुँचते हैं ।

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  2. खूब खुश रहो मेरे भाई। चैनल पर पहुँचने का इंतज़ार कर रहे हैं। सह कुटुंब, सह परिवार पहुँचो। और अपनी राय भी टीप दो। अच्छा लगता है।
    जमाने बाद फिर से हम सब री यूनाइट हो रहे हैं। अच्छा लग रहा है।

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  3. ये सही है विभा छम्मकछल्लो से यहीं मिलते रहेंगे ।

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  4. जी दीदी। आपकी आज्ञा शिरोधार्य!

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  5. अरे वाह बहुत बढिया विभा दी, हमारा भी प्रणाम स्वीकार हो।

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  6. स्वीकार सुनीता। प्यार।

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