मैने बाल कटाए और अपने बदले रूप पर मुग्ध हुई.
मैने बगैर किसी की सलाह के चश्मा खरीदा
मुझे अच्छा लगा,
अपने जन्म दिन पर मिठाइयां बांटीं, बधाइयां बटोरीं
मैं तनिक इतराई- जन्मदिन पर
कल तुमसे लडाई की,
बेचैन रही रात भर, सोई नहीं
सुबह दस मिनट में पकनेवाली सब्ज़ी डेढ घंटे में पकाई
आधी जला दी.- किसी ने मिर्च की तरह ही उसकी ओर नहीं देखा
मैने मोजरी खरीदी एकदम कम दाम में
कुछ पैसे बच गये, यह सोच कर खुश हुई. नवरात्रि में रंग-बिरंगी साडियां पहनीं
दिल बाग़-बाग़ हुआ. घर में पानी पूरी बनी, पाव भाजी बनी
सबने चाव से खाया, मन तृप्त हुआ. बिल्डिंग में होगा गरबा, इस ख़बर से बेटी की चमक आई सूरत, और मिली मेरे दिल को तसल्ली
गरबा न कर पाने की मायूसी से गहराया उसका चेहरा नहीं देखा जाता था मुझसे
इतनी छोटी- छोटी बातों पर मन हो जाता है दुखी या खुश
ताज्जुब है!
मन को खुश या उदास होने के लिए बस बहाने की ज़रूरत होती है
ReplyDeleteअगर हम अन्दर से खुश होंगे तो छोटी-छोटी बातें भी हमें अच्छी लगेंगी
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