Pages

Sunday, July 13, 2008

कलाकारी- इरेजर की या कलाकार की?

आज एक छोटी सी फ़िल्म देखी- 'कलाकार'। मुख्य भूमिका रजित कपूर की। फ़िल्म अवाक। कहीं- कहीं गति में चार्ली चैपलिन की तरह लगती। संवाद समझाने के लिए लिखे हुए संवाद आते, जो कभी-कभी अनावश्यक लगते, जेसे किसी के दरवाजा खटखटाने पर -"नोंक-नोंक" कहना। हा, सारे कैप्शन अन्ग्रेज़ी में थे।
फ़िल्म की कहानी के लिए कुछ मौर्यकालीन समय जेसा पीरियड चुना गया था। कलाकार को आदेश हुआ है, प्रधान मंत्री की बेटी की तस्वीर में सुधार करने के लिए। कलाकार जब भी उस पर काम करता है, कभी छींक आने से तो कभी मच्छर के काटने से तासीर बिगड़ जाती है। वह काफ़ी परेशान व् चिंतित है। उसका दोस्त अंत में उसकी सहायता करता है। अचानक वह इरेजर ईजाद करता है और इसके बल पर कलाकार तस्वीर सही-सही बना देता है।
फ़िल्म के अंत में फ़िल्मकार के साथ बातचीत थी। भावना सोमाया इसे प्रस्तुत कर रही थीं। उनहोंने इसे बहुत ब्रिलियंट फ़िल्म बताई। पता नहीं, यह मौके की नजाकत थी, एक प्रस्तुतकर्ता की भुमिका में होने के नाते या सचमुच फ़िल्म उन्हें अच्छी लगी।
छाम्माक्छाल्लो समझ ना सकी कि यह फ़िल्म है क्या? यदि यह इरेसर की उत्पत्ति के लिए फ़िल्म थी, तब तो कोई बात नहीं। मगर एक कलाकार के माध्यम से इसे व्यक्त करने की कोशिश में यह एक हास्य ही उत्पन्न कर सका। कोई भी कलाकार इरेजर के इस्तेमाल से बड़ा नहीं हो सकता। हमारे गुरु हैं- पोलाजी सर, वे कहते हैं, "अगर तुमने ग़लत स्ट्रोक लगा भी दिए तो कोशिश करो कि उस ग़लत स्ट्रोक को अपने ब्रश या पेन्सिल से कैसे ठीक कर सकते हो? उसे ठीक करने के लिए इरेज़र का इस्तेमाल तुम्हारी कल्पना को छोटा करता है।" यह बात नई कलाकार विधा सौम्य भी मानती है। हम भी जब कभी आर्ट वर्कशौप करते हैं, बच्चों को इरेसर नही देते। वे शुरू में मायूस होते हैं, मगर बाद में अपनी ही कल्पना के अलग-अलग परिणाम देख खुश होते हैं। आज कल स्कूलों में भी बच्चों को इरेज़र के लिए हतोत्साहित किया जाता है, ताकि वे ग़लत ना लिखें, वरना इरेज़र तो है, मिटा देंगे, यह प्रवृत्ति बच्चे के मन में बढ़ने लगती है। दूसरे,इरेज़र के इस्तेमाल से कागज़ पर सफाई नहीं आती है।
छाम्माक्छाल्लो इस बात से मुतास्सिर है कि इरेज़र का इस्तेमाल होना चाहिए, मगर वहाँ, जहाँ इसके बिना काम ना बने। रचनात्मक कामों में इसका इस्तेमाल रचनात्मकता को कम करता है। फ़िल्म का यह संदेश फ़िल्म को कथ्य के स्तर पर कमजोर करता है और संदेश देता है कि आख़िर यह कलाकारी कलाकार की हुई या इरेज़र की?

No comments:

Post a Comment