tag:blogger.com,1999:blog-813572674361777059.post4726521480946377980..comments2023-10-25T18:23:00.807+05:30Comments on chhammakchhallo kahis: राजा होना सुखी होने का मार्ग नहीं है, कदापि! - चाणक्यVibha Ranihttp://www.blogger.com/profile/12163282033542520884noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-813572674361777059.post-27737969328577487372009-10-10T17:25:39.938+05:302009-10-10T17:25:39.938+05:30इस ब्लाग को पढना, यानी ,दिल-ओ-ज़ेहन को उसकी मनचाही ...इस ब्लाग को पढना, यानी ,दिल-ओ-ज़ेहन को उसकी मनचाही खुराक देना...! मैं आपके लेखन की निर्विवाद प्रशंसक हूँ. राविश कुमार जी के एक आर्टिकल के माध्यम से इस तक पहुँची थी उसके बाद तो इसे नियमित पढना जैसे आदत में शुमार हो गया है.मैं खुद थियेटर और नाट्य-लेखन से जुडी हूँ इसलिये इस पोस्ट के साथ पिछली कई पोस्टें बहुत ही अच्छी और ग्यानर्धक लगीं लेकिन सच कहूँ, उन सारी पोस्ट्स की बात ही कुछ और है जिनमें एक स्वावलम्बी,विचारशील,बुद्धिमती और संवेदनशील नारी, बिना किसी भय या द्वन्द्व के, अपनी अस्मिता,निजता,स्वाभिमान और संपूर्ण पहचान के हक में, पूरी मज़बूती के साथ मुखर होती है, फिर कोई उससे सहमत हो या असहमत, कोई फ़र्क नहीं पढता. कन्या जिमाइये...... और... हम कपडे से हैं........तो जैसे हमें आसमान से ज़मीन पर ला पटकते हैं. यहीं है, पर्दे के पीछे , समाज की सच्चाई, आज भी चाहे कोई लाख झुठलाये. मैं हर शब्द पर आपकी समर्थक हूँ और इस साहस के लिये आपकी प्रशंसक भी... !<br />प्रतिमा सिन्हा<br />http://pratimasinha.blogspot.compratima sinhahttps://www.blogger.com/profile/00813155406463079771noreply@blogger.com