tag:blogger.com,1999:blog-813572674361777059.post7719405916567270648..comments2023-10-25T18:23:00.807+05:30Comments on chhammakchhallo kahis: मंडी- रंडी, देह -दुकान....!Vibha Ranihttp://www.blogger.com/profile/12163282033542520884noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-813572674361777059.post-7901953237920800482012-12-22T06:55:18.859+05:302012-12-22T06:55:18.859+05:30इतना अवसाद उचित नहीं है यह सही तो है कि यह कविता आ...इतना अवसाद उचित नहीं है यह सही तो है कि यह कविता आज की पुरुष की मानसिकता का कराती है लेकिन शत प्रतिशत सही नहीं है अभी भी कुछ संवेदनशील पुरुष है जो स्त्री के प्रति इस प्रकार का भाव नहीं रखते क्या स्त्री को इस प्रकार गालिया दे कोस कर हम संवेदनशील पुरुषो की भावनाओं को आहात नहीं कर रहे <br /> सम्वेदानापरक कविता के लिए आभार <br /> arun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.com